महामारी के दौरान परिवार के साथ रहने के लिए लोग किसी तरह गांव तक आ गए, लेकिन अब घर चलाना मुश्किल हो रहा है। यहां उनके पास रोजगार नहीं है। कुछ लोग हैं, जो गांव में ही छोटा-मोटा काम-धंधा कर रहे हैं, लेकिन अधिकतर बेरोजगार ही है। अभी तक घर में होने वाली खेती-बाड़ी या परिवार के सदस्यों की कमाई पर ही किसी तरह गुजारा चल रहा है।
कोरोना काल में तीन माह से घर बैठे लोगों के लिए अब दिन निकालना मुश्किल होता जा रहा है। बिना कमाई खर्च करना वैसे ही भारी पड़ता है, लेकिन इन दिनों खर्च भी बढ़ गया है। आवश्यक वस्तुएं होने से इनकी खरीद भी जरूरी है, लेकिन पहले इन चीजों को खरीदने में जहां साठ रुपए लग रहे थे वहीं अब नब्बे रुपए देने पड़ रहे हैं। चाय की पत्ती के दाम दो सौ से बढ़कर ढाई सौ रुपए तक हो गए है। लोग रूआंसे होकर बताते हैं कि देसावर में छोटा-मोटा धंधा व नौकरी करते थे, जो छूट गया। अब यह संकट मिटे तो कहीं जाकर काम-धंधा भी करे। वैसे इतनी जमापूंजी भी नहीं है कि बैठे-बैठे खा सके, लेकिन मजबूरी है।
हम लोग साठ साल से चाय का कारोबार कर रहे हैं, लेकिन चाय के दाम दस सालों में पहली बार बढ़े हैं। बागानों में चाय की फसल तीन बार खराब हो गई। इस साल कम उपज हुई है, जिसका सीधा असर इसके दामों पर पड़ा। चाय के दामों में चालीस से पैंतालीस रुपए प्रति किलो तक बढ़ोतरी हो गई है।
– बुलाकीचंद चाय वाला, व्यापारी, नागौर
महंगाई बढऩे से मुश्किल हो रही है। पहले थड़ी पर भी पांच रुपए की चाय मिलती थी अब पंद्रह रुपए हो गए हैं। पहले घर से पापा के साथ सामान खरीदने जाते थे तो हजार-पंद्रह सौ रुपए में महीने भर का राशन आ जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
– चंदन, छात्र, नागौर
दाल और खाद्य तेल के दाम एकदम से बढ़ गए हैं। किराणा सामान के दामों में वृद्धि से लोगों की मुश्किल बढ़ रही है। इसका मुख्य कारण पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढऩा भी हो सकता है। चाहे जो हो, लेकिन सरकार को इसमें ध्यान देना चाहिए। कोरोना संकट से जूझ रहे लोगों के लिए महंगाई झेलना मुश्किल है।
– धर्माराम भाटी, अध्यक्ष, किराणा मर्चेंट एसोसिएशन, नागौर
आवश्यक चीजों के दाम वस्तु पहले अब
चाय 180 240
दाल मूंग 85 100
तुअर 75 90
मसूर 65 80
हल्दी 120 160
मिर्च 140 200
धनिया 100 130
मूंगफली 1600 2050 (तेल टीन)
सोयाबीन 1400 1700 (तेल टीन)
(स्रोत: किराणा खुदरा व्यापारी, दाम प्रति किलो, तेल पंद्रह किलो टीन में)