नागौर

नमक नगरी में सवा सौ साल पहले बन गया था आलम सेठ का शीशमहल, पढ़ें

दक्षिणमुखी आलम सेठ की प्रतिमा के साथ निज मंदिर में स्वर्ण से जडि़त है प्रतिमाएं

नागौरApr 23, 2024 / 12:04 am

Nagesh Sharma

प्रदेश के नावांशहर में प्राचीन श्रीराम बजरंग मंदिर सवा सौ साल पुराना है। जहां पर आज आलम सेठ शीश महल में विराजमान है। यह मंदिर जहां पर स्थापित है वहां पर सैकड़ों वर्ष पहले वीरान जगह थी। लेकिन क्षेत्र के धर्मप्रेमियों ने बताया कि सवा सौ साल पहले यहां मूर्ति प्रकट हुई और मन्दिर की स्थापना की गई।
मंदिर कमेटी अध्यक्ष बाबूलाल बजाज ने बताया कि वर्तमान में 110वां वार्षिक मेला महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। पुजारी शिव कुमार बोहरा ने बताया कि यह मंदिर शहर का सबसे प्राचीन मंदिर है। जहां कांच की जड़ाई का कार्य 70 वर्ष पूर्व में ही करवा दिया गया था। आज शहर का यह कांच जडि़त मंदिर आमेर के शीश महल की तरह नजर आता है। जिसमें आज भी स्वर्ण जडि़त तस्वीरें लगी हैं। उसके बाद विक्रम संवत् 2037 में भामाशाह गोपीकिशन मूंदड़ा, 1979 में सीताराम गोकुलचंद अग्रवाल, 2 अक्टूबर 1979 में कजोड़मलसामरिया अग्रवाल की बेटी सरजू देवी व दोहिते रामप्रकाश, 26 अगस्त 1980 में रामनारायण पोद्दार ने मंदिर परिसर में विभिन्न स्थानों पर कांच का निर्माण कार्य करवाया। मंदिर में चांदी का ङ्क्षसहासन भी चेत्र शुक्ल 11 विक्रम संवत् 2003 का है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस मंदिर की स्थापना सवा सौ वर्ष पूर्व की है।
रत्न जडि़त हाथी पर आज निकलेगी शोभायात्रा: नमक नगरी में मंगलवार को हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर श्रीराम बजरंग मंदिर में सबसे पहले सुबह प्रभात फेरी का आयोजन भी होगा। उसके बाद में सुन्दकांड, भजन, सामूहिक आरती के साथ अनेक धार्मिक आयोजन होंगे तथा बाद में प्रसाद वितरण किया जाएगा। वहीं शाम को शोभायात्रा का आयोजन होगा। जिसमें रत्न जडि़त हाथी पर महावत के साथ बालाजी महाराज की रजत प्रतिमा की शाही सवारी निकाली जाएगी।
दूदू दरबार से आता था हाथी, तीसरी पीढ़ी कर रही सेवा पूजा

ट्रस्ट के अध्यक्ष बाबूलाल बजाज ने बताया कि 80 वर्ष पूर्व मेले के दौरान दूदू दरबार से शोभायात्रा के लिए हाथी आता था। एकबार दूदू दरबार के पारिवारिक शादी होने के चलते हाथी का आना मुश्किल था। जिस पर मंदिर कमेटी ने काष्ठ के हाथी का निर्माण करवाया और उस पर सवारी निकाली गई। लेकिन उस वर्ष भी वह हाथी शादी में से नावां मेले आ गया था। फिर पूरे मेले में सवारी के साथ-साथ चलता रहा। वहीं पुजारी शिव कुमार, हरीश कुमार बोहरा ने बताया कि सन् 1970 से लगातार उनके परिवार की तीसरी पीढ़ी बाबा की सेवा पूजा कर रही है। पूर्व में इनके दादा गोपीलाल बोहरा पिता हनुमान प्रसाद बोहरा और वर्तमान में शिवकुमार, हरीश कुमार बाबा की सेवा पूजा कर रहे हैं।
शोभायात्रा में संयुक्त रूप से पहली आरती करता है खटीक समाज

खटीक समाज की ओर से ट्रस्ट की आरती के बाद में शोभायात्रा में संयुक्त रूप से पहले आरती का आयोजन किया जाता है। जिसमें खटीक समाज नावां के पूर्वजों की ओर से 108 वर्ष पूर्व आलम सेठ श्रीराम बजरंग मंदिर को चांदी की मूर्ति भेंट की गई थी।

संबंधित विषय:

Hindi News / Nagaur / नमक नगरी में सवा सौ साल पहले बन गया था आलम सेठ का शीशमहल, पढ़ें

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.