सूत्रों के अनुसार चेनार सरपंच बल्लू उर्फ योगेन्द्र सोलंकी और उसके साथी पंकज की गिरफ्तारी आईजी स्पेशल टीम द्वारा करने के बाद पुलिस खेमे में हंगामा बरपा। सरपंच के परिजनों ने कोतवाली थाने में प्रदर्शन कर पुलिस पर अनावश्यक कार्रवाई की बात कहते हुए इसकी वजह रिश्वत तक मांगने का आरोप लगा दिया। उधर, मामले में सीधा आईजी की स्पेशल टीम द्वारा दबिश देकर की गई गिरफ्तारी में स्थानीय पुलिस को शामिल नहीं किया गया। साफ जाहिर था कि स्थानीय पुलिस की मिलीभगत के चलते ऐसा हो रहा है। आईजी एस सेंगाथिर के निर्देश पर दो अलग-अलग जांच दी गई। सट्टेबाजी में सरपंच की गिरफ्तारी का मामला नागौर एएसपी राजेश मीना को सौंपा गया, वहीं सट्टेबाजी को संरक्षण देने में पुलिस की संदिग्ध भूमिका की विभागीय जांच अजमेर रेंज के एसीबी के एएसपी राजेश चौधरी को सौंपी।
जांचा रोजनामचा, हुए डेढ़ दर्जन के बयान
सूत्रों के अनुसार जांच टीम ने कोतवाली थाने के रोजनामचों के साथ मुकदमों की फेक्चुअल रिपोर्ट, अन्य दस्तावेजों की पड़ताल की। यही नहीं करीब कोतवाली थाना समेत कुछ अन्य जगह पदस्थापित पुलिसकर्मियों के बयान लिए गए। इसमें थाने की गतिविधियों के साथ अन्य जानकारियां दर्ज की गई। बताया जाता है इस संबंध में निलंबित सीआई जितेंद्र सिंह फौजदार को भी स्पष्टीकरण के लिए बुलाया था, लेकिन वो अब तक पेश नहीं हुए हैं।
रिपोर्ट में बताई जितेंद्र सिंह की खामियां
सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में कहा गया है कि इलाके में पनपती सट्टेबाजी और इसमें शरीक लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करना जितेंद्र सिंह फौजदार पर सवाल खड़ा करता है। आईजी की स्पेशल टीम ने कार्रवाई कर थाना प्रभारी जितेंद्र सिंह को सूचित कर दिया था। इसके बाद भी सरपंच के घर से सट्टेबाजी के उपकरण समेत अन्य छानबीन नहीं कर लापरवाही दिखाई। मौके पर खुद मौजूद होने के बाद भी हैड कांस्टेबल सोहन सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई। कोविड के चलते लॉक डाउन के बाद भी भीड़ एकत्र हुई, उसके खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की। रोजनामचे में भी रपट दर्ज नहीं हुई। थाने में आने-जाने वालों के ब्योरे वाला रजिस्टर भी मेंटेन नहीं मिला। सदर थाने में सट्टेबाजी के एक मामले की जांच भी जितेंद्र कर रहे थे, बावजूद इसके कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, आरोपियों से बीस-बीस हजार रुपए लेने की बात भी सामने आई। संदिग्ध भूमिका के साथ भ्रष्ट आचरण और लापरवाही का दोषी मानते हुए विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।
प्रेमाराम के सरंक्षण में अवैध काम
सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया कि हैड कांस्टेबल प्रेमाराम का काम अवैध काम को रोकना, उनमें शामिल लोगों पर कार्रवाई करना है। बावजूद इसके आईपीएल में सरपंच बल्लू को सहयोग करने के ऐवज में डेढ़ लाख रुपए लेने की हरकत वाकई शर्मनाक है। उसने उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना के साथ पुलिस की छवि धूमिल की है।
राजू गौरान को टीम ने बुलाया था
सूत्र बताते हैं कि सरपंच बल्लू और उसके साथी की गिरफ्तारी में स्पेशल टीम का सहयोग करने में लाइन हाजिर राजू गौरान का नाम सामने आया। कुछ पुलिसकर्मी ये मान रहे थे कि राजू ने ही आईजी की स्पेशल टीम को सट्टेबाजी की कार्रवाई के लिए शिकायत की थी। उधर, जांच अधिकारी का कहना है कि कहीं की पुलिस को मदद के लिए बुलाया जाता है। गौरान को उन्होंने ही बुलाया था।
एक नजर
-31 मई को सरपंच और उसके साथी की गिरफ्तारी
-31 मई को ही कांस्टेबल राजू गौरान निलंबित -3 जून को कोतवाली सीआई व हैड कांस्टेबल निलंबित इनका कहना है
विभागीय जांच में निलंबित सीआई जितेंद्र सिंह फौजदार और हैड कांस्टेबल प्रेमाराम को भ्रष्ट आचरण के साथ लापरवाही का दोषी पाया गया है। विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा के लिए रिपोर्ट जल्द आगे प्रेषित की जाएगी।
-एस सेंगाथिर, आईजी, अजमेर रेंज।