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नागौर

अन्न का अनादर करने से आती दरिद्रता

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नागौरDec 11, 2018 / 12:42 am

Ravindra Mishra

nagaur

भागवत कथा

मूण्डवा। निकटवर्ती गांव भडाणा के रामझुंपड़ा आश्रम में सोमवार को श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथा करते हुए त्यागी संत हेतमराम महाराज ने भगवान की वृद्धावन लीला का वर्णन करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण ने कालिया नाग का दमन कर यमुना के जल को शुद्ध किया और जहर से बचाया। उन्होंने कहा कि धन का सदुपयोग करते हुए उसे गौ-सेवा में लगा दो तो वह कई गुणा होकर वापस आपको मिलेगा। श्रीकृष्ण के कहने पर नंदबाबा ने इन्द्र की पूजा न करके गोर्वधन की पूजा की। इसके कारण इन्द्र कुपित हो गए। अंत में उनका अभिमान चूर-चूर हुआ। संत ने कहा कि अन्न ब्रह्म स्वरूप है। इसलिए अन्न का अनादर नहीं करना चाहिए, जो अन्न का अनादर करता है वह दरिद्र हो जाता है। भोजन के सम्बन्ध में कहा गया है खाओ मण पर छोड़ो मत कण। उन्होंने भोजन को झूठा नहीं छोडऩे की सलाह दी। गुरुजी के सोलहवें निर्वाण दिवस पर हो रही श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णाहुति मंगलवार को होगी।
समय पर मिलती है सफलता-विफलता

डेह. कस्बे के रामद्वारा में रामस्नेही संत आनंदीराम आचार्य ने सोमवार को प्रवचन में कहा कि समय पर सब होता है। जन्म, सफलता व विफलता समय पर ही मिलती है। समय से पहले कुछ नहीं होता। विपत्ति और सम्पत्ति देवयोग से समय आने पर ही घटती है। ऐसा जो जान चुका है और समझ चुका है वह हर हाल में प्रसन्न रहता है। उन्होंने कहा कि चिंता कर्ताभाव से पैदा होती है। जब व्यक्ति कर्ता भाव छोड़ देते है और ईश्वर को कर्ता मान लेते है तो कैसी चिंता व तनाव, अपमान और हानि। उन्होंने प्रभु पर भरोसा रखना व समय आने पर सब कुछ अच्छा हो जाएगा।
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