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नागौर

महिला से लाखों की ठगी करने वाले चारों आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज

अदालत ने शेयर में निवेश के बदले मोटे मुनाफ का लालच देकर महिला से लाखों की ठगी करने वाले चार आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।

नागौरDec 07, 2024 / 08:44 pm

Sandeep Pandey

साइबर क्राइम

मेड़ता निवासी महिला से शेयर में निवेश करने पर मोटे मुनाफे का झांसा देकर लाखों की ठगी की

नागौर. अदालत ने शेयर में निवेश के बदले मोटे मुनाफ का लालच देकर महिला से लाखों की ठगी करने वाले चार आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। इस मामले में एक महिला समेत नौ आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं।
मेड़ता निवासी अमनदीप कौर पत्नी संदीप सिंह ने साइबर थाने में इसी साल जनवरी में रिपोर्ट लिखाई थी। रिपोर्ट बताया कि उसे शेयर में निवेश कर बड़ा मुनाफा कमाने का झांसा देकर कुछ लोगों ने धोखाधड़ी से अलग-अलग खातों में राशि ट्रांसफर कराई। करीब बीस लाख रुपए दिसम्बर व जनवरी में ट्रांसफर किए गए। एक एप के जरिए खाते में करीब 33 लाख दिखे पर वे निकल नहीं पाए। बाद में पता लगा कि यह तो साइबर ठगी हो चुकी है। इस पर दर्ज मामले की जांच तत्कालीन सीओ उम्मेद सिंह ने संभाली और करीब नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया।
इन गिरफ्तार आरोपियों में विकास बंसल, तुषार गर्ग, रामकुमार रमण उर्फ राम कुंवार निवासी दिल्ली तो मनोज बंसल निवासी आगरा की ओर से जमानत अर्जी न्यायालय अपर सेशन न्यायाधीश संख्या-1 में लगाई गई। इन आरोपियों के वकील का कहना था कि इन्हें झूठा फंसाया जा रहा है। इन्होंने ना तो कोई धोखाधड़ी की ना ही राशि इनके खाते में ट्रांसफर हुई। ये सभी 17 जून से न्यायिक अभिरक्षा में हैं। ऐसे में अनुसंधान में समय लगेगा, लिहाजा इन चारों की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली जाए।
इस पर अपर लोक अभियोजक अनिल गौड ने कहा कि इन्होंने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर व्हाट्स एप ग्रुप के माध्यम से परिवादी को झांसा देकर ठगा, यह अनुसंधान में प्रमाणित हो चुका है। मामले के अन्य आरोपी रचना, परमजीत उर्फ पम्मी, मुनीश शर्मा और गौरव कुमार की जमानत हाईकोर्ट से होने का लाभ नहीं हो सकता, क्योंकि इनकी स्थिति अलग है। गंभीर प्रकृति का मामला है, ऐसे में जमानत अर्जी खारिज की जाए।
न्यायाधीश देव कुमार खत्री ने कहा कि अनुसंधान में ठगी प्रमाणित पाई गई है। तमाम तथ्य, परिस्थिति व मामले की गंभीरता को देखते हुए इन चारों की जमानत स्वीकार करना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता। इसलिए जमानत अर्जी खारिज की जाती है।
गोली मारकर पत्नी की हत्या करने के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज

नागौर. अदालत ने पत्नी की गोली मारकर हत्या करने के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। अदालत ने आदेश में कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को जमानत देना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता। भावण्डा निवासी रहीस राम (43) की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया गया।आरोपी रहीसराम के एडवोकेट का तर्क था कि इस मामले में उसे झूठा फंसाया गया है। आरोपी ने अपनी पत्नी पप्पूड़ी की हत्या नहीं की। वो 26 अक्टूबर को बाहर गया हुआ था। पप्पूड़ी उस बंदूकनुमा हथियार की सफाई कर रही थी, इसी दौरान गोली चल जाने से उसकी मौत हो गई। मामले में राजीनामा हो गया है, अत: उसे जमानत दी जाए।
अपर लोक अभियोजक अनिल गौड के साथ परिवादी के अधिवक्ता रामकिशोर बाना ने इसका कड़ा विरोध किया। गौड का कहना था कि अनुसंधान में अपराध प्रमाणित पाया गया है। इसमें मृत्यु दण्ड अथवा आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। यह गंभीर प्रकृति का मामला है जो राजीनामा योग्य नहीं है। ऐसे में उसकी जमानत अर्जी खारिज की जाए।
न्यायालय अपर सेशन न्यायाधीश-1 देव कुमार खत्री ने सुनवाई के बाद आदेश सुनाया। आदेश में कहा गया कि मामले में गंभीर अपराध के प्रमाण पाए गए हैं। तथ्यात्मक रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट है कि रहीस राम व उसकी पत्नी पप्पूड़ी के बीच रुपयों को लेकर झगड़ा हुआ था और रहीस राम ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। ऐसे में जमानत स्वीकार करना न्योयचित प्रतीत नहीं होता। उसके बाद आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
यह था मामला

पारिवारिक कलेश के कारण 26 अक्टूबर को भावण्डा पुलिस थाने के माणकपुर गांव की सरहद में एक खेत पर रहीस राम ने पत्नी पप्पूड़ी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतका के भाई की रिपोर्ट पर हत्या का मामला दर्ज किया था। पति-पत्नी के बीच पैसों को लेकर हुए झगड़े की वजह से यह वारदात हुई थी।

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