कलक्टर यादव ने बताया कि चारागाह भूमि पर किया गया अतिक्रमण अलग-अलग पांच स्थानों पर है, जिसे प्रशासन ने ए, बी, सी, डी एवं ई ब्लॉक में विभाजित किया है। गत १९ व २० अगस्त को हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने चारागाह भूमि के बदले खातेदारी की जमीन सरेंडर करने तथा एक स्थान पर बसने की शर्त रखी थी। कलक्टर ने पत्रिका को बताया कि अब तक किसी ने खातेदारी की जमीन सरेंडर करने को लेकर लिखित में नहीं दिया है। रविवार को सबसे पहले ई ब्लॉक में अतिक्रमण तोड़े जाएंगे, इसके बाद डी व सी में कार्रवाई होगी। तब तक यदि अतिक्रमियों की ओर से स्टाम्प पर लिखित में चारागाह भूमि के बदले खातेदारी जमीन सरेंडर करने की सहमति दी जाएगी तो ए व बी ब्लॉक को छोड़ा जाएगा, अन्यथा उनमें भी अतिक्रमण ध्वस्त किए जाएंगे। कलक्टर ने कहा कि २९ अगस्त को इस मामले में हाईकोर्ट में फिर सुनवाई है, इसलिए कार्रवाई करना आवश्यक है। सी, डी व ई ब्लॉक में हर हालत में अतिक्रमण हटाने हैं।
चारागाह भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए जिला प्रशासन का सहयोग देने एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन ने भी पूरी तैयारी कर ली है। शनिवार को जब अधिकारी बंजारों की ढाणियों में पहुंचे तो पुलिस जाब्ते की तीन बसें साथ थी। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस लाइन सहित जिले भर से करीब 700-800 पुलिसकर्मियों का जाब्ता मौके पर तैनात रहेगा।
पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण हटाने की चेतावनी देने के बाद दूसरे समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर बंजारा समाज के लोगों के प्रति सहानुभूति रखते हुए रहवासी मकानों के नियमितीकरण व पुनर्वास करने की मांग की। ज्ञापन देने आए ओमप्रकाश गोदारा, दिनेश बेड़ा, महिपाल बुडि़या, लालाराम सोनी, सुरेन्द्र, तिलोकचंद, धर्माराम, कैलाशराम, हिराराम कुड़ी, मनमोहन सिंह, रमेश खोजा, जगदीश सहित अन्य लोगों ने ज्ञापन सौंपकर बताया कि बंजारा समाज के लोग पहले घुमंतु जातियों के रूप में पहचाने जाते थे, धीरे-धीरे स्थाई रूप से निवास करने लगे। एेसे में इस समाज को बसाने की बजाए उजाडऩा उचित नहीं है। सरकार इस मामले में समाज के लोगों को बसाने के प्रयास करे।