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ग्रामीण ओलम्पिक कराने वालों की आंखों के सामने चार करोड़ का स्टेडियम बना पशु शरणस्थली

locationनागौरPublished: Nov 28, 2021 09:09:34 pm

Submitted by:

Ravindra Mishra

सवाईसिंह हमीराणा
खींवसर (नागौर). टूटा ग्राउण्ड, बंद पड़ी लाइटें, सूखी दूब, उगी कंटिली झांडिय़ां तथा चारों ओर बिखरी पड़ी गंदगी व बंद नलकूप खींवसर के राजकीय स्टेडियम की खस्ता हालत को बयां कर रहे हैं। करीब 4 करोड़ की लागत से बने स्टेडियम की हालत सरकार और विभाग की अनदेखी के चलते खस्ता है। सरकार खेल प्रतिभाओं को तराशने के लिए पंचायत स्तर पर ओलम्पिक खेलों की तैयारियों में जुटी हुई है, वहीं दूसरी ओर करोड़ों की लागत से बने इस स्टेडियम का कोई धणी-धोरी नहीं है।

 ग्रामीण ओलम्पिक कराने वालों की आंखों के सामने चार करोड़ का स्टेडियम बना पशु शरणस्थली

खींवसर. खींवसर स्टेडियम में जला पड़ा विद्युत ट्रांसफार्मर।


– ना पूरा स्टाफ ना खिलाडिय़ों के लिए खेल सामग्री
– नहीं मिल पाया खिलाडिय़ों को लाभ
– तीन वर्ष से ना बिजली है ना पानी

पत्रिका ग्राउण्ड रिपोर्ट

उपखण्ड क्षेत्र के कई खिलाडिय़ों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। सरकार सुविधाएं उपलब्ध करवाने में गंभीरता दिखाती तो यहां विभिन्न खेलों में राष्ट्रीय स्तर की टीमें तैयारी की जा सकती थी।
खिलाड़ी झांकते तक नहीं

अनदेखी के चलते यहां ना तो खेलने लायक मैदान बचा है ना खिलाडिय़ों के लिए कोई सुविधा। खिलाड़ी यहां आना तो दूर झांककर भी नहीं देखते हैं। स्टेडियम लावारिस पशुओं की शरणस्थली बन चुका है। खींवसर की खेल प्रतिभाओं को तराशने के लिए तत्कालीन खेल मंत्री गजेन्द्रसिंह खींवसर ने राज्य सरकार का करोड़ों का बजट खर्च कर स्टेडियम का निर्माण करवाया था, लेकिन वर्तमान में स्टेडियम में सुविधाओं के नाम पर ढेला तक नहीं बचा है। ऐसे हालत में खेल प्रतिभाएं आगे बढ़े भी तो कैसे। खींवसरकी खेल प्रतिभाओं ने दिन-रात कड़ी मेहनत राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतकर जिले व ब्लॉक का नाम रोशन किया जा रहा है तो दूसरी ओर उन्हें खेलने के लिए मैदान तक नसीब नहीं हो रहा है। असामाजिक तत्त्वों ने स्टेडियम में लगे शीलापट्ट से जनप्रतिनिधियों के नाम तक को मिटा दिया है। इसकी और न तो प्रशासन का ध्यान जा रहा है ओर न ही जनप्रतिनिधियों का।


एक कार्मिक के भरोसे जिम्मेदारी
स्टेडियम की देखरेख की जिम्मेदारी केवल एक कर्मचारी के भरोसे है। जबकि कार्यालय स्टाफ में बाबू, एकाउंटेंट, गार्ड, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं लगाए गए हैं।

तीन वर्ष से ना बिजली ना पानी
खेल विभाग द्वारा निगम को विद्युत बिलों के 3 लाख 72 हजार रूपए का भुगतान नहीं करने से निगम ने तीन वर्ष पूर्व ही बिजली का कनेक्शन काट दिया था। इसके चलते ना बिजली बची ना पानी। रात के समय अंधेरा रहने के साथ ही पानी के अभाव में लगाई गई दूब भी पूरी तरह सूख चुकी है।
खिलाडिय़ों में मायूसी

राजकीय स्टेडियम की दुर्दशा के कारण खिलाडिय़ों को ब्लॉक स्तर पर खेल मैदान होने के बावजूद भी पे्रक्टिस के लिए अन्य जगह जाना पड़ता है। खेल प्रतिभाओं को तराशने के लिए बनाया गया स्टेडियम अब नाम का रह गया है। इसमें ना बिजली है ना पीने का पानी। स्टेडियम की हालत देखकर खिलाड़ी मायूस है।
खेल मंत्री को कराया अवगत

तत्कालीन खेल मंत्री गजेन्द्रसिंह खींवसर ने गांवों में छुपी खेल प्रतिभाओं को तराशने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर खींवसर में राजकीय खेल स्टेडियम का निर्माण करवाया। लेकिन वर्तमान सरकार की अनदेखी के कारण न तो यहां स्टाफ लगाया गया है और न ही खेल सामग्री उपलब्ध करवाई गई है। इसके कारण स्टेडियम अनुपयोगी होने के साथ देखरेख के अभाव में दुर्दशा का शिकार हो रहा है। मैंने पिछले दिनों स्टेडियम की खराब हालत को सुधारने के लिए खेल मंत्री से मिलकर अवगत करवाया है।
– धनंजयसिंह खींवसर, भाजपा नेता

उपलब्ध करवाए सम्पूर्ण सुविधा

स्टेडियम की देखरेख के लिए एकमात्र में ही कार्यरत हूं। साथ ही स्टेडियम में न तो सुव्यवस्थित रिकॉर्ड है और न ही कम्प्यूटर सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध है। खिलाडिय़ों के लिए खेल सामग्री भी उपलब्ध नहीं है। प्रशासन व खेल अधिकारियों को चाहिए की स्टेडियम की देखरेख के लिए सम्पूर्ण स्टाफ की नियुक्ति की जाए। साथ ही खेल सामग्री उपलब्ध करवाई जाए, ताकि गांवों में छुपी प्रतिभाओं को तराशा जा सके।
– सोहनलाल प्रभारी, स्टेडियम, खींवसर

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