हर साल बढ़ रहे लावारिस जानवर
शहर में लावारिस जानवरों की संख्या हर साल बढ़ जाती है। चौमासा आते ही शहर में अचानक लावारिस गोवंश की बाढ सी आ जाती है। खेती के चार महीनों के दौरान लावारिस पशु गांवों में खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं,इसलिए लोग इन जानवरों को शहरी के बाहरी क्षेत्र में छोडकऱ चले जाते हैं। ऐसे पशु धीरे-धीरे शहर का रुख करते हैं और शहरी की गलियों व बाजार तक पहुंच जाते हैं। बालवा रोड स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी को पशु छोडऩे के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना मानते हुए बड़ी संख्या में लोग गांवों से पशु कॉलोनी में छोड़ गए।
वाहन चालक हो रहे चोटिल
जानकारी के अनुसार पिछले तीन माह में छह लोगों की मौत पशुओं से टकराकर हुए हादसों में हो गई। शहर से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-89 व 65 पर लावारिस पशुओं जमावड़ा हर समय देखा जा सकता है। दिन में तो वाहन चालक पशुओं को देखकर वाहन सडक़ से नीचे उतार लेते हैं, लेकिन रात के समय काले रंग के पशु दिखाई नहीं देते और चालक उनमें गिर जाते हैं। डेह रोड से वल्लभ चौराहा, मूण्डवा चौराहा, कॉलेज रोड, मानासर चौराहा, रेलवे स्टेशन चौराहा, पुराना अस्पताल चौराहा, सुगनसिंह सर्किल, कृषि मंडी से लेकर जेएलएन अस्पताल तक सडक़ के बीच बैठे पशु हादसों का सबब बन रहे हैं।
रखने के लिए नहीं है स्थान
लावारिस पशुओं की संख्या बहुत ज्यादा है और कांजी हाउस में इनको रखने की जगह नहीं है। प्रशासन से भूमि मिलने पर ही समस्या का समाधान संभव है।
अनिता बिरड़ा, आयुक्त नगर परिषद नागौर