श्रम विभाग में दलाल सक्रिय, कमीशन तय होने के बाद जारी होती है आर्थिक सहायता
सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारी से जंग लडऩे वाले मरीजों व मृतकों के परिजनों से भी मांगने में शर्म नहीं करते
- सहायता राशि के बदले मांगा जा रहा 10-15 प्रतिशत कमीशन
- कमीशन के अभाव में अटका कर रखते हैं आवेदन, एक दलाल व अधिकारी का पैसे मांगने का ऑडियो वायरल
- पहले भी भ्रष्टाचार के चलते श्रम विभाग के अधिकारी हो चुके हैं एपीओ

नागौर. सिलिकोसिस जैसी गंभीर एवं जानलेवा बीमारी की जद में आए मरीज एक ओर जहां जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं, वहीं राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि प्राप्त करने के लिए उन्हें दलालों एवं श्रम विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों से भी बड़ी जंग लडऩी पड़ रही है। सहायता राशि स्वीकृत कराने के लिए प्रत्येक मरीजों को 10 से 15 प्रतिशत तक कमीशन देना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें श्रम विभाग की एक महिला दलाल डीडवाना क्षेत्र के कोलिया निवासी सिलिकोसिस पीडि़त से 30 हजार रुपए की मांग कर रही है। हद तो तब हो गई जब दलाल ने विभाग के ही एक अधिकारी से पीडि़त की फोन पर बात करवा दी और रुपए नहीं देने पर उसके गांव पहुंचने की धमकी तक दे डाली।
हालांकि श्रम विभाग में मजदूरों को सरकारी योजनाओं में मिलने वाली सहायता राशि देने के एवज में कमीशन लेने की शिकायत पिछले काफी समय से मिल रही हैं, लेकिन जब से राज्य सरकार ने सिलिकोसिस मरीजों एवं मृतकों के परिजनों को मिलने वाली सहायता राशि बढ़ाई है, तब से विभाग में दलाल भी सक्रिय हो गए हैं और खुलेआम कमीशन मांग रहे हैं। खास बात तो यह है कि कमीशन नहीं देने वाले मरीजों व उनके परिजनों को बार-बार चक्कर कटवाए जाते हैं और आवेदनों में तरह-तरह की कमियां निकालकर सहायता राशि से वंचित किया जाता है।
नागौर में सिलिकोसिस मरीज
वर्ष - भवन निर्माण श्रमिक - खान श्रमिक
2016 - 129 - 295
2017 - 255 - 246
2018 - 291 - 99
2019 - 134 - 178
2020 - 49 - 150
पीडि़तों ने जिला कलक्टर को सौंपा ज्ञापन
कोलिया के सिलिकोसिस मरीज छिगनाराम से तीन लाख की सहायता राशि जारी करने के बदले एक महिला दलाल द्वारा बार-बार फोन कर 30 हजार रुपए मांगे जा रहे थे। छिगनाराम ने टालमटोल की तो दलाल ने श्रम विभाग के एक अधिकारी से भी बात करवाई, जिसमें अधिकारी उसे कार्यालय में आकर बात करने के लिए कह रहे हैं। तीनों की बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मंगलवार को कुछ मरीज व उनके परिजन जिला कलक्टर से मिले तथा श्रम विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार के खेल की जानकारी दी। मरीजों ने आरोप लगाया कि अधिकारी मृत्यु के बाद सहायता राशि के लिए लगाए जाने वाले आवेदनों की जांच करने भी दलालों की कारों से जा रहे हैं। कलक्टर ने सम्बन्धित अधिकारी को बुलाकर पूछताछ की तथा बाद में एडीएम को जांच के निर्देश दिए।
पहले कहा जानता नहीं, फिर बोले - हां जानता हूं
शिकायतकर्ताओं के समक्ष कलक्टर ने सम्बन्धित अधिकारी से जब महिला दलाल के बारे में पूछा तो पहले उन्होंने पहचानने से इनकार कर दिया, लेकिन शिकायतकर्ताओं ने जब दोनों की साथ चाय पीते फोटो दिखाई तो कहा कि हां, जानता तो हूं, लेकिन रिश्वत मांगने के मामले में उनका कोई लेना-देना नहीं है।
बढ़ी सहायता राशि पर गिद्ध दृष्टि
गौरतलब है कि पिछले साल राज्य सरकार ने सिलिकोसिस मरीजों को जीवित रहते मिलने वाली सहायता राशि बढ़ाकर 3 लाख कर दी थी, जबकि मृत्यु उपरांत मिलने वाली सहायत राशि भी 2 लाख रुपए कर दी थी। जिले में वर्तमान में कुल 1882 सर्टिफाइड सिलिकोसिस मरीज हैं। कोई भी श्रमिक यदि पैसा देने से इनकार करता है तो अधिकारी भौतिक सत्यापन में आवेदन रिजेक्ट करने की धमकी देते हैं, जिससे श्रमिक को डर के मारे पैसा देना पड़ता है। नागौर श्रम विभाग की लगातार रिश्वत मांगने की शिकायतें सामने आ रही हैं। गत वर्ष शिकायत की पुष्टि होने पर कुछ अधिकारियों को एपीओ भी किया गया था।
कलक्टर ने लगवाए थे विशेष शिविर
राज्य सरकार की मंशा अनुसार जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने गत वर्ष अगस्त माह में खनन क्षेत्रों में विशेष शिविर आयोजित करवाकर सिलिकोसिस मरीजों को का चिह्नीकरण करवाया था, ताकि उनको जिला मुख्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़े। लेकिन श्रम विभाग के अधिकारी राज्य सरकार व कलक्टर के प्रयासों पर पानी फेर रहे हैं।
जांच करवा रहे हैं
श्रम विभाग में सहायता राशि की एवज में रिश्वत मांगने को लेकर मंगलवार को कुछ लोग शिकायत लेकर आए थे। मैंने मामले को गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए नागौर एडीएम की अध्यक्षता में चार सदस्यों की कमेटी गठित की है। कमेटी को मामले की जांच कर 15 दिन में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी।
- डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, जिला कलक्टर, नागौर
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