नागौर एसीबी के सीआई मोहन सिंह ने बताया कि 30 मई को शिकायत मिली थी कि परिवादी की ताई के नाम से पट्टा बनाने की एवज में नगर परिषद का कनिष्ठ सहायक हरनारायण गौड 35 हजार रुपए मांग रहा है। उसी दिन शिकायत सत्यापित करा ली गई। 31 मई को हरनारायण गौड ने रिश्वत लेने को टाल दिया। बुधवार को इसके लिए गांधी चौक स्थित एक दुकान पर रकम देना तय किया।
एसीबी के हैड कांस्टेबल सुरेंद्र सिंह, कांस्टेबल नेमीचंद, मांगीलाल, बालाराम आदि को लेकर शाम करीब छह बजे वो वहां पहुंचे। यहां दलाल गुलामुद्दीन को 35 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। बताया जाता है कि हरनारायण पास ही कहीं था, एसीबी की कार्रवाई देखते ही वो छूमंतर हो गया। मुख्य आरोपी हरनारायण गौड की तलाश जारी है। हरनारायण अपने पिता की जगह नौकरी पर लगा था। उनकी दुर्घटना में मौत हुई थी।
एक दिन पहले पत्रिका की खबर पर टाल दी रिश्वत सूत्र बताते हैं कि 31 मई को राजस्थान पत्रिका में Ò23 साल में 130 में से सिर्फ तीन महिला कार्मिक ही निकली घूसखोरÓ शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई थी। 30 मई के बाद दूसरे दिन यानी 31 मई को ही रकम लेने का तय भी हो गया था, लेकिन इसी दिन पत्रिका में प्रकाशित खबर में नगरपरिषद/पालिका में रिश्वत बड़ी पढक़र इन्होंने इसे टाल दिया। बुधवार को इसे लेना तय किया तो हरनारायण गौड के दलाल गुलामुद्दीन को 35 हजार रुपए की घूस लेते रंगे हाथों पकड़ लिया।
ये दलाल ढाई माह बाद भी फरार गत 23 मार्च को सरपंच के प्रस्ताव की स्वीकृति के बदले रिश्वत लेते एसीबी की पाली टीम ने नागौर जिला परिषद के कनिष्ठ सहायक सुरेश कुमार व दलाल वीरेंद्र सांगवा को 90 हजार की घूस लेते पकड़ा था। इस दौरान एक अन्य दलाल पूनाराम फरार हो गया। पूनाराम मूलत: डेगाना का रहने वाला है। मामले के जांच अधिकारी एसीबी सीआई रूप सिंह चारण ने बताया कि उसकी गिरफ्तारी के लिए नागौर एसपी के अलावा डेगाना डिप्टी और साथ में नागौर एसीबी के जिम्मेदारों से भी इस बाबत कार्रवाई जल्द से जल्द करवाने की बात कही।