खतरनाक है बाईपास
गौरतलब है कि भडाणा गांव नेशनल हाईवे 89 पर आबाद है। इस गांव से बाईपास बना
हुआ है। इस बाईपास पर खतरनाक जानलेवा मोड़ हैं। वहां अनगिनत हादसे हो चुके हैं। इस बाईपास पर हादसे के निशान कभी मिटते ही नहीं हैं। फिर भी यात्रियों की जान जोखिम में डालकर बसें बाईपास ही निकल जाती है, जबकि गांव में नई सडक़ बने हुए अर्सा बीत गया।
गुमराह होते अधिकारी
अनहोनी के बाद तो प्रशासन के हाथ पांव फूल जाते हैं। सामान्य परिस्थितियों में अधिकारियों के संज्ञान में कोई जन समस्या लाई जाती है तो उनके मातहत कर्मचारी ही गुमराह कर देते हैं। कुछ ऐसा ही नागौर डिपो मैनेजर के साथ हो रहा है। निजी बसों के साथ कम्पीटीशन का कहकर बसें बाहर से ही निकाली जा रही है। असल में निजी बसों के साथ कम्पिटीशन एक्सप्रेस बसों का है। लोकल बसों में तो कोई कम्पिटीशन नहीं है।
रोड़वेज की बसें बहुत पहले गांव के अन्दर से होकर जाती थी। इन वर्षों में बाहर से ही जाती है। निजी बसें भी गांव के अन्दर नहीं जाती है। इसलिए इनके कम्पीटीशन में हमारी बसें भी बाहर से ही चली जाती है। यदि ग्रामीण निजी बसों को अन्दर से ले जाने के लिए राजी कर ले तो हमारी बसें भी अन्दर से ही जानी शुरू हो जाएगी।
गणेशराम शर्मा, मुख्य प्रबंधक, नागौर डिपो