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19 किमी का बायपास : निर्माण से पूर्व सामग्री की जांच तो क्षतिग्रस्त कैसे हुई सीसी सड़क

locationनागौरPublished: Jun 20, 2021 04:30:39 pm

Submitted by:

shyam choudhary

अधिशासी अभियंता के जवाब में ही खड़े हो रहे सवाल, तत्कालीन अधिकारियों की अनदेखी से सही नहीं हुआ काम

Bypass's CC road damaged in Nagaur

Bypass’s CC road damaged in Nagaur

नागौर. राष्ट्रीय राजमार्ग-65 पर अमरपुरा से चुगावास तक करीब डेढ़ सौ करोड़ से बनाई गई बायपास की सीसी सड़क क्षतिग्रस्त होने से निर्माण कार्य पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। अमरपुरा से चुगावास तक बने 19.225 किलोमीटर लम्बे बायपास की सीसी सड़क जगह-जगह से क्षतिग्रस्त होने पर खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल के पत्र पर मांगी गई रिपोर्ट में अधिशासी अभियंता ने जिन बातों का उल्लेख किया है, उनसे कई प्रकार के सवाल खड़े हो गए हैं।
अधिशासी अभियंता मुकेश शर्मा ने कलक्ट्रेट की समाधान शाखा के प्रभारी अधिकारी को भेजी रिपोर्ट में बताया कि बायपास पर सीसी रोड के निर्माण में उपयोग ली गई निर्माण सामग्री की जांच उपयोग के पूर्व में ही कर ली जाती है एवं मानकों के अनुसार गुण नियंत्रण परीक्षण में पास होने के पश्चात ही निर्माण सामग्री का उपयोग किया जाता है। आगे उन्होंने लिखा कि उपरोक्त सीसी रोड कुछ स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसका निरीक्षण मुख्य अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग राजस्थान, जयपुर द्वारा भी किया गया था। मुख्य अभियंता ने क्षतिग्रस्त सडक़ का निरीक्षण केन्द्रीय सडक़ अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली (सीआरआरआई-नई दिल्ली) से करवाने के निर्देश दिए थे। यहां बड़ा सवाल यह है कि यदि उपयोग से पहले निर्माण सामग्री की जांच हो गई तो फिर सडक़ क्षतिग्रस्त कैसे हुई? यानी या तो जांच सही नहीं हुई, या फिर जांच में पास नहीं होने के बावजूद सामग्री को काम लिया गया। यदि ऐसा नहीं हुआ तो फिर निर्माण के समय ठेकेदार के काम की मॉनिटरिंग नहीं हुई। कुछ भी हो, कहीं न कहीं दाल में काला जरूर है, जो उच्च स्तरीय जांच का विषय है। खास बात यह है कि मुख्य अभियंता के निर्देश पर सीआरआरआई-नई दिल्ली के वैज्ञानिक सत्येन्द्र कुमार द्वारा क्षतिग्रस्त सडक़ का निरीक्षण किया गया और उनके द्वारा सुझाए गए तरीके से क्षतिग्रस्त सडक़ का मरम्मत कार्य भी किया गया।
तोडऩा पड़ा था फ्लाईओवर
एक्सईएन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बायपास परियोजना में स्थित तीनों ओवरब्रिजों में से किसी में भी कोई क्रेक नहीं आया हैं एवं तीनों ओवरब्रिज यातायात संचालन के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं। इन में से दो ओवरब्रिज पर गत 6 माह से ट्रैफिक सुगमता से संचालित हो रहा है। अठियासन ओवरब्रिज को एचटी लाइन के शिफ्टिंग ना होने के कारण यातायात संचालन के लिए नहीं खोला गया है। हालांकि यह बात और है कि दो साल पहले डीडवाना रोड पर बने फ्लाईओवर का निर्माण सही नहीं होने पर इन्हीं एक्सईएन ने तुड़वाकर ठीक करवाया था।
ठेकेदार ने ट्रैफिक छोड़ दिया था
हां, यह सही है कि एनएच के कार्यों में उपयोग से पूर्व निर्माण सामग्री की जांच कर ली जाती है। जहां तक सीसी सडक़ क्षतिग्रस्त होने का सवाल है तो कई बार निर्माण के दौरान ठेकेदार से कुछ गलतियां हो जाती हैं, इसमें भी ऐसा ही हुआ। ठेकेदार के मजदूरों ने खुद व गांवों का ट्रैफिक छोड़ दिया। बाकी बायपास को नवम्बर 2020 से यातायात के लिए खोल दिया गया था एवं लगभग 6 माह से बायपास पर ट्रैफिक सुचारू रूप से चल रहा है एवं किसी भी प्रकार कि कोई दुर्घटना सडक़ में तकनीकी खामी की वजह से नहीं हुई है।
– मुकेश शर्मा, अधिशासी अभियन्ता, पीडब्ल्यूडी राष्ट्रीय उच्चमार्ग खण्ड, नागौर
दोषियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई
बायपास निर्माण कार्य में ठेकेदार ने भारी अनियमितता की और तत्कालीन सरकार के दबाव में अधिकारी मूकदर्शक बने रहे। गुणवत्ता जांच के लिए नियुक्त विंग के स्थानीय अधिकारियों ने सीसी सडक़ की गुणवत्ता की ओर ध्यान ही नहीं दिया, जिसके चलते सडक़ पर यातायात शुरू होने से पहले ही क्षतिग्रस्त हो गई। इसकी उच्च स्तरीय जांच करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
– नारायण बेनीवाल, विधायक, खींवसर

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