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पानी की तलाश में ऊंटों के काफिले…!

locationनागौरPublished: Sep 04, 2018 12:49:57 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

बरसात नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्रों में बिगड़ी हालत, कुओं एवं तालाबों में पानी नहीं होने से स्थिति बिगड़ी, हरा चारा भी नहीं होने के कारण पशुओं के लिए स्थिति हुई विकट, पालक अपने पशुओं को लेकर अब पानी व चारे की तलाश में निकल रहे बाहर

Nagaur patrika

Camel camouflage in search of water …!

नागौर. जिले में बरसात नहीं होने के कारण न तो तालाबों में पानी आया, और न ही कुओं में। स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि पशुओं को पीने के लिए पानी तक नहीं मिल पा रहा है। चारा एवं पानी के नहीं होने के कारण जानवरों में विशेषकर ऊंटों को लेकर उनके पालक अब बाहरी क्षेत्रों में जाने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश कई जगहों पर अभी भी पर्याप्त मात्रा में नहीं होने की वजह से सूखे की स्थिति उत्पन्न होने के कारण पालकों को पशुओं सहित अपने गांव छोडऩे पड़ रहे हैं। स्थिति इतनी खराब होने के बाद भी जिम्मेदारों की नजर में ‘आल इज वेल’ है।
जिले में इस बार का सावन तो पूरा सूखा गया और यह माह भी बारिश से लगभग अछूता ही रहा। हालांकि कुछ जगह पर बरसात हुई, लेकिन पर्याप्त मात्रा में नहीं होने के कारण परंपरागत जलस्रोत सूखे पड़े हुए हैं। अब इसका दुष्परिणाम भी नजर आने लगा है। विभिन्न जगहों पर ऊंटो एवं अन्य पशुओं के साथ पालक चारा एवं पानी की कमी से परेशान होने लगे हैं। डेह गांव से काफिलों में ऊंट लेकर बाहरी क्षेत्रों में चारा व पानी की तलाश में निकले अन्नाराम से मुलाकात हुई तो पता चला डेह गांव में पानी के हालात भयावह हो चुके हैं। गांव में इस बार बारिश के अभाव में न तो चारा हो पाया, और न ही पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था हो सकी। नतीजन कई पालकों को अपने-अपने पशुओं को लेकर बाहर निकलना पड़ा। अन्नाराम ने बताया कि ऊंट बड़े पशुओं में होने के कारण पर्याप्त मात्रा में इसे चारा और पानी की आवश्यकता होती है। थोड़े-बहुत पानी से काम नहीं चलता इसका। अब गांव में इसके लिए चारा व पानी की उपलब्धता नहीं होने के कारण बाहर निकलना पड़ा। कहां जाएंगे कि सवाल पर बताया कि जहां पानी मिला वहीं, रुक जाएंगे। बारिश के अभाव में खेतों में फसलें पहले ही प्रभावित हो चुकी हंै, अब पानी की कमी होने के कारण पशुओं की हालत भी बिगडऩे लगी है। बरसात के अभाव में पशुओं के लिए चारा व पानी की समस्या के संदर्भ में पशुपालन विभाग के अधिकारियों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि बरसात नहीं होने पर वह क्या कर सकते हैं। वह तो केवल पालन का तरीका बता सकते है। बारिश नहीं होने से सूखती फसलों के काश्तकारों के साथ ही अब पशु पालकों की नींदें भी उडऩे लगी है।
तालाब व कुओं में पानी नहीं
पशुपालकों का कहना है कि इस बार बारिश पर्याप्त नहीं होने के कारण अभी भी गांवों में तालाब व कुओं के साथ अन्य परम्परागत जलस्रोत सूखे पड़े हुए हैं। कई जगह पर बारिश तो हुई है, लेकिन इतनी ज्यादा नहीं हो सकी है कि तालाब भर सकें और सूखे पड़े कुओं का जलस्तर बढ़ जाए। इसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी ज्यादातर कुएं सूखे हैं, और तालाबों की भी यही स्थिति है। कुछ जगहों पर बारिश तो संतोषजनक हुई, लेकिन आवक के रास्ते बाधित होने के कारण तालाबों तक पानी नहीं पहुंच सका। इसकी वजह से स्थिति और भी ज्यादा खराब हो गई है।
इनका कहना
&बरसात के अभाव में गांवों में पानी व चारा की कमी होने पर इसकी उपलब्धता कराने के लिए पशुपालन विभाग के पास कोई बजट नहीं रहता है। इसका बजट होता तो फिर, विचार किया जाता।
डॉ. सी. आर. मेहरड़ा, संयुक्त निदेशक पशुपालन नागौर
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