सूत्रों के अनुसार जिला अधिवक्ता संघ नागौर की ओर से वकीलों ने मार्च में आंदोलन शुरू किया था, जिसमें जिला एवं सेशन न्यायालय, एससी-एसटी कोर्ट, पोक्सो कोर्ट आदि की मांग की गई थी। क्रमिक अनशन, भूख हड़ताल के साथ तकरीबन 53 दिन तक यह आंदोलन चला, अदालत पूरी तरह ठप रही। कई बार मुख्यमंत्री से लेकर तमाम मंत्रियों तक वार्ता भी हुई, लेकिन नतीजा नहीं निकला। अखिरकार पोक्सो कोर्ट खोलने की सहमति पर आंदोलन खत्म हो गया। अप्रेल में ही आंदोलन खत्म होने के बाद से पोक्सो कोर्ट की अधिसूचना का इंतजार हो रहा था, जो एक जुलाई को जारी हुई। शेष मांगें ज्यों की त्यों आज भी है।
वकीलों के साथ पुलिस का भी तर्क था कि पूरे जिले में पोक्सो की सुनवाई के लिए मेड़ता में ही कोर्ट है। पोक्सो के बढ़ते मामले में रोजाना इतनी दूरी, साथ ही पीडि़ता और उसके परिजनों को लम्बी यात्रा की मुसीबत झेलनी पड़ रही थी। ऐसे में केवल इसी मांग पर गौर किया गया। मजे की बात तो यह रही कि नागौर को पोक्सो कोर्ट मिला तो मेड़ता को एक और मिल गया। इस तरह अब जिले में पोक्सो के तीन कोर्ट हो गए।
इन अठारह थानों के मामले नागौर सुने जाएंगे सूत्रों के अनुसार नागौर में शुरू हो रहे पोक्सो कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में डेढ़ दर्जन थाने होंगे। नागौर के कोतवाली, सदर, श्रीबालाजी, महिला, पांचौड़ी, कुचेरा, खींवसर, भावण्डा, जायल खाटूबड़ी, सुरपालिया, लाडनूं, जसवंतगढ़, डीडवाना, खुनखुना और मौलासर थाने में दर्ज पोक्सो मामलों की सुनवाई यहीं होगी। इसके अलावा मेड़ता में खुली दूसरी पोक्सो कोर्ट में आधा दर्जन थानों के मामले सुने जाएंगे। इनमें गोटन, मेड़ता सिटी, मेड़ता रोड, पादूकलां, डेगाना और थांवला शामिल है। शेष थाने पहले से चल रही पोक्सो कोर्ट के अधीन रहेंगे।
हफ्तेभर में मामले स्थानांतरित जानकारी के अनुसार अब संबंधित कोर्ट में तय थानों के मामले स्थानांतरित किए जाएंगे। इसमें करीब सात दिन का समय लगेगा। हालांकि जिले में कुल 32 थाने हैं, ऐसे में केवल नागौर पोक्सो कोर्ट को अठारह थाने दिए जाने को भी वकील तर्कसंगत नहीं मानते।
दो साल में 279 प्रकरण पिछले कुछ सालों से नाबालिगों के साथ छेड़छाड़, बलात्कार समेत अन्य शोषण की वारदातों में खासी वृद्धि हुई है। अब तक पूरे जिले में मेड़ता की अकेली पोक्सो कोर्ट थी, वर्ष 2020 में 135 तो वर्ष 2021 में 144 प्रकरण यहां तक पहुंचे यानी हर तीसरे दिन एक मामला। सूत्र बताते हैं कि इस साल के शुरुआती छह महीने में ही सौ से अधिक मामले पोक्सो के दर्ज हो चुके हैं। तीन पोक्सो कोर्ट होने से मामलों पर फैसले शीघ्र होने की संभावना है।