सूत्रों के अनुसार कोरोना के चलते लॉक डाउन लगा, अधिकतर समय स्कूल बंद रहे। कुछ दिनों से खुले भी तो आधे-आधे बच्चों की पढ़ाई। उस पर कोढ़ में खाज यह कि ऑनलाइन कोर्स को माना ही नहीं जा रहा तो दूसरी ओर काफी पेरेंटस अब एक-दो महीने के लिए फीस देने पर आनाकानी कर रहे हैं सो अलग। अब नागौर जिले में सीबीएसई से संबद्ध कई स्कूल इसलिए भी समय मांग रहे हैं, ताकि फीस न अटक जाए। सीबीएसई से स्कूलों के प्रधानाचार्य को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
राज्य सरकार से आस
सूत्र बताते हैं कि जारी पत्र में यह भी कहा गया है कि अन्य कारणों से एग्जाम आगे करवाने अथवा सेशन खिसकाने के लिए राज्य सरकार की स्वीकृति ली जा सकती है। सीबीएसई के इस मशविरे को कई स्कूल संचालक मानते हुए सरकार की ओर ताक रहे हैं। रिट भी लगी तो सरकार से भी आस, ऐसे में स्कूल प्रबंधन ही नहीं हजारों स्टूडेंट और पेरेंट्स भी मुश्किल में हैं। सीबीएसई बोर्ड के 10वीं और 12वीं के एग्जाम 4 मई से शुरू होंगे।
प्रेक्टिकल एग्जाम खत्म होने के बाद स्कूलों को इनके नंबर बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड करना होगा। एग्जाम बोर्ड की ओर से नियुक्त परीक्षक द्वारा कराए जाएंगे। अगर किसी अन्य शिक्षक से यह परीक्षा कराई गई तो वह मान्य नहीं होगी साथ ही इस संबंध में स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
सूत्रों का कहना है कि स्कूलों पर इस बाध्यता को सिरे से खारिज किया जा रहा है। जहां स्टूडेंट और पेरेंट्स तक ऑनलइन कोर्स को मान ही नहीं रहे, वहीं निजी स्कूल अपनी फीस की भरपाई के लिए कोर्स करवाना चाहता है। पता चला है कि नागौर जिले के कई प्राइवेट स्कूल को फीस नहीं देने पर कुछ पेरेंट्स अढ़े हुए हैं। वहीं स्कूल संचालक बीच का रास्ता अपनाने में लगे हैं।
इस संबंध में पत्र मिला है। दसवीं-बारहवीं को छोडक़र अन्य कक्षाओं की परीक्षा मार्च में कराने व नया सेशन अप्रेल से शुरू करने की सिफारिश की गई है। कोरोना संक्रमण के चलते कोर्स पूरा नहीं होने की शिकायत-असमंजस के चलते भी कई स्कूल इसके लिए और समय मांग रहे हैं।
मनीष पारीक, प्रिंसिपल स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल, नागौर