सीबीएसई के नए फरमान पर छिड़ा घमासान
अटकी फीस की भरपाई को कई निजी स्कूल इस पर नहीं रजामंद , कई स्कूलों ने रिट दाखिल की तो कई ने सरकार से की गुहार

नागौर. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का नया सत्र अप्रेल में शुरू करने की पुरजोर कोशिश में अडंग़ा लगना शुरू हो गया है। सीबीएसई से संबद्ध कुछ स्कूलों ने एग्जाम को लेकर थोड़ा और समय मांगने की रिट तक लगा दी। सीबीएसई के दसवीं व बारहवीं को छोडक़र अन्य कक्षाओं की परीक्षा मार्च में ही कराने की जो घोषणा की है वो अधिकांश स्कूलों के गले नहीं उतर रही। कहीं कोर्स कंपलीट नहीं होने की बात कही जा रही है तो कहीं इसके लिए और समय की डिमाण्ड की जा रही है। एग्जाम डिले करने को राज्य सरकार की स्वीकृति के बोर्ड के सुझाव का भी इस्तेमाल होने लगा है।
सूत्रों के अनुसार कोरोना के चलते लॉक डाउन लगा, अधिकतर समय स्कूल बंद रहे। कुछ दिनों से खुले भी तो आधे-आधे बच्चों की पढ़ाई। उस पर कोढ़ में खाज यह कि ऑनलाइन कोर्स को माना ही नहीं जा रहा तो दूसरी ओर काफी पेरेंटस अब एक-दो महीने के लिए फीस देने पर आनाकानी कर रहे हैं सो अलग। अब नागौर जिले में सीबीएसई से संबद्ध कई स्कूल इसलिए भी समय मांग रहे हैं, ताकि फीस न अटक जाए। सीबीएसई से स्कूलों के प्रधानाचार्य को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
इस पत्र में स्कूलों को कोविड-19 के मद्देनजर छात्रों की पढ़ाई के नुकसान का पता लगाने और उसके समाधान के कदम उठाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही नए शैक्षणिक सत्र 2021 की शुरुआत एक अप्रेल से करने की भी सिफ ारिश की है। पत्र में कहा गया कि कक्षा नवीं-ग्यारहवीं की परीक्षाएं आयोजित की जाएं, मार्च में परीक्षा और इसी माह अंत तक परिणाम घोषित किए जाएं, ताकि नया सत्र एक अप्रेल से शुरू हो सके। पत्र में कहा गया कि 9वीं और 11वीं की परीक्षाओं के जरिए पढ़ाई में हुए नुकसान का पता लगाने में भी मदद मिलेगी। जिनको दूर करने के लिए स्कूल नए शैक्षणिक सत्र में कदम उठा सकेंगे। इस नुकसान की भरपाई के लिए विशेष तौर पर तैयार एक ब्रिज कोर्स की भी मदद ली जा सकती है।
राज्य सरकार से आस
सूत्र बताते हैं कि जारी पत्र में यह भी कहा गया है कि अन्य कारणों से एग्जाम आगे करवाने अथवा सेशन खिसकाने के लिए राज्य सरकार की स्वीकृति ली जा सकती है। सीबीएसई के इस मशविरे को कई स्कूल संचालक मानते हुए सरकार की ओर ताक रहे हैं। रिट भी लगी तो सरकार से भी आस, ऐसे में स्कूल प्रबंधन ही नहीं हजारों स्टूडेंट और पेरेंट्स भी मुश्किल में हैं। सीबीएसई बोर्ड के 10वीं और 12वीं के एग्जाम 4 मई से शुरू होंगे।
बोर्ड परीक्षक से ही हो एग्जाम वरना कार्रवाई
प्रेक्टिकल एग्जाम खत्म होने के बाद स्कूलों को इनके नंबर बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड करना होगा। एग्जाम बोर्ड की ओर से नियुक्त परीक्षक द्वारा कराए जाएंगे। अगर किसी अन्य शिक्षक से यह परीक्षा कराई गई तो वह मान्य नहीं होगी साथ ही इस संबंध में स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
इस बार कोरोना के कारण प्रेक्टिकल एग्जाम देरी से शुरू हो रहे हैं। हर साल ये एग्जाम एक जनवरी से सात फ रवरी के बीच हो जाते थे। इस बार 10वीं व 12वीं के प्रेक्टिकल एग्जाम और प्रोजेक्ट वर्क 1 मार्च से लेकर 11 जून तक पूरे किए जाने हैं।
सूत्रों का कहना है कि स्कूलों पर इस बाध्यता को सिरे से खारिज किया जा रहा है। जहां स्टूडेंट और पेरेंट्स तक ऑनलइन कोर्स को मान ही नहीं रहे, वहीं निजी स्कूल अपनी फीस की भरपाई के लिए कोर्स करवाना चाहता है। पता चला है कि नागौर जिले के कई प्राइवेट स्कूल को फीस नहीं देने पर कुछ पेरेंट्स अढ़े हुए हैं। वहीं स्कूल संचालक बीच का रास्ता अपनाने में लगे हैं।
इनका कहना
इस संबंध में पत्र मिला है। दसवीं-बारहवीं को छोडक़र अन्य कक्षाओं की परीक्षा मार्च में कराने व नया सेशन अप्रेल से शुरू करने की सिफारिश की गई है। कोरोना संक्रमण के चलते कोर्स पूरा नहीं होने की शिकायत-असमंजस के चलते भी कई स्कूल इसके लिए और समय मांग रहे हैं।
मनीष पारीक, प्रिंसिपल स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल, नागौर
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