नागौरPublished: Jun 24, 2018 10:18:51 pm
Pratap Singh Soni
लाखोलाव को संरक्षण चाहिए, ऐतिहासिक लाखोलाव तालाब का बदरंग हो रहा पानी
मूण्डवा के लाखोलाव तालाब में बदरंग हुआ पानी।
मूण्डवा. कस्बेवासियों के लिए सबसे बड़े परिंडे ऐतिहासिक लाखोलाव तालाब का पानी जब खराब होने लगा तो एक बार उसे खाली करवाने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए गए। इसके पानी की गुणवत्ता में 90 के दशक के बाद धीरे-धीरे कमी आने लगी और 21 वीं सदी के आगमन के साथ इसका पानी बदबू मारने लगा था। तब स्थानीय लोगों के साथ प्रवासी श्रेष्ठीजन आगे आए। प्रवासी शिवरतन सारड़ा ने बताया कि वर्ष 2002 में तालाब की खुदाई व घाटों की मरम्मत की गई। उस समय पानी खाली करना पड़ा। वर्ष 2008 में तालाब लबालब भरा। लाखोलाव का पानी ओवरफ्लो होकर रेल की पटरियों के नीचे से होकर गुजरा तो पटरिया भी झूल गई। तब से अब तक तालाब कभी पूरी तरह खाली नहीं हुआ। अब फिर से वहीं हालात बन रहे हैं। बारिश के बाद कुछ महिनों तक पानी का स्वरूप ठीक-ठाक रहता है लेकिन गर्मियों के आते-आते पानी खराब होने लगता है। अब फिर से यह जरूरत महसूस की जाने लगी है कि इस पानी के शुद्धिकरण का कोई उपाय किया जाए।
पानी के शुद्धिकरण पर होगी चर्चा
लाखोलाव तालाब के पानी का कैसे हो शुद्धिकरण तथा रख-रखाव के प्रयासों में क्या सुधार किया जाए, इन मुद्दों को लेकर सोमवार सुबह 8 बजे लाखोलाव तालाब पर नगरवासियों की बैठक होगी। इसमें मूण्डवा की इस धरोहर के संरक्षण पर विशेष चर्चा होगी। गौरतलब है कि तालाब के पानी में हरे रंग की काई सी घुल गई है। पानी को साफ रखने वाला प्राकृतिक रूप से पनपने वाला जाळा पिछले कुछ वर्षों से पनप ही नहीं पा रहा है।
घाटों की मरम्मत होगी
पत्रिका के अभियान के बाद नगरपालिका अध्यक्ष घनश्याम सदावत ने बताया कि लाखोलाव तालाब के घाटों की मरम्मत का काम नगरपालिका प्रशासन शीघ्र शुरू करवाएगा । इसके अलावा दीवारों के पास की गई फेंसिंग की भी मरम्मत का काम करवाया जाएगा।