कोच दिनेश कुमार को संविदा पर होने के नाते सरकार की ओर से मानदेय तो मिलना ही है। इसके अतिरिक्त वह बच्चों के अभिभावकों से भी प्रशिक्षण शुल्क वसूल रहा है। अभिभावकों के मुताबिक प्रत्येक बच्चे को करीब एक माह बॉस्केट बॉल के प्रशिक्षण के एक हजार से बारह सौ रुपए लिए जा रहे हैं।
मानदेय से ढाई गुना प्रशिक्षण शुल्क से कमाई
खेल विभाग के सूत्रों के अनुसार नागौर खेल स्टेडियम में एनजीओ के माध्यम से सोलह हजार रुपए प्रति माह में कोच नियुक्त किए गए हैं। जबकि बॉस्केट बॉल कोच मानदेय से करीब ढाई गुना कमाई अभिभावकों से शुल्क वसूल के कर रहा है। विभाग के अनुसार करीब तीन दर्जन बच्चे इस समय बॉस्केट बॉल का प्रशिक्षण ले रहे हैं। जिनमें प्रत्येक से एक हजार से बारह सौ रुपए प्रशिक्षण शुल्क के नाम पर लिए जा रहे हैं।
खेल विभाग के सूत्रों के अनुसार नागौर खेल स्टेडियम में एनजीओ के माध्यम से सोलह हजार रुपए प्रति माह में कोच नियुक्त किए गए हैं। जबकि बॉस्केट बॉल कोच मानदेय से करीब ढाई गुना कमाई अभिभावकों से शुल्क वसूल के कर रहा है। विभाग के अनुसार करीब तीन दर्जन बच्चे इस समय बॉस्केट बॉल का प्रशिक्षण ले रहे हैं। जिनमें प्रत्येक से एक हजार से बारह सौ रुपए प्रशिक्षण शुल्क के नाम पर लिए जा रहे हैं।
नहीं लिया जा सकता सौ रुपए से अधिक शुल्क
विभाग के सूत्रों के अनुसार खेल स्टेडियम में खेलने या अभ्यास करने वाले बच्चों से सौ रुपए से अधिक शुल्क नहीं लिया जा सकता है। उसकी भी खेल विभाग की ओर से रसीद देना जरूरी है। यह शुल्क स्टेडियम के रखरखाव के लिए जिला प्रशासन की ओर से तय किया हुआ है।
विभाग के सूत्रों के अनुसार खेल स्टेडियम में खेलने या अभ्यास करने वाले बच्चों से सौ रुपए से अधिक शुल्क नहीं लिया जा सकता है। उसकी भी खेल विभाग की ओर से रसीद देना जरूरी है। यह शुल्क स्टेडियम के रखरखाव के लिए जिला प्रशासन की ओर से तय किया हुआ है।
इनका कहना
नागौर स्टेडियम में बच्चों को बॉस्केट बॉल प्रशिक्षण की जानकारी मिली तो बच्चों को वहां लेकर गए। कोच ने बारह सौ रुपए शुल्क बताया। बच्चों की रुचि होने से शुल्क दे दिया।
– भंवर लाल, अभिभावक
नागौर स्टेडियम में बच्चों को बॉस्केट बॉल प्रशिक्षण की जानकारी मिली तो बच्चों को वहां लेकर गए। कोच ने बारह सौ रुपए शुल्क बताया। बच्चों की रुचि होने से शुल्क दे दिया।
– भंवर लाल, अभिभावक
कोच द्वारा खिलाडिय़ों से पैसे वसूलने की जानकारी मिली थी, जिसके बाद उसे पाबंद कर दिया है।
– भंवराराम सियाग, जिला खेल अधिकारी, नागौर
– भंवराराम सियाग, जिला खेल अधिकारी, नागौर