scriptआरक्षण के बाद भी कोच पकडऩे की दौड | Coach rush after reservation | Patrika News

आरक्षण के बाद भी कोच पकडऩे की दौड

locationनागौरPublished: Jun 14, 2018 11:27:05 am

Submitted by:

shyam choudhary

नागौर रेलवे स्टेशन सुविधाओं से महरूम, पिछले कई महीनों से गायब है कोच डिस्पले बोर्ड, जानकारी के लिए इधर-उधर भटकते हैं यात्री

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नागौर. रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर कोच गाइडेंस बोर्ड नहीं लगे होने से यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। दरअसल, प्लेटफार्म पर रेलवे नए कोच गाइडेंस बोर्ड लगाएगा, लेकिन आधी अधूरी तैयारी व विभागों में आपसी सामंजस्य के अभाव में नया सिस्टम शुरू नहीं हो पाया और विभाग ने पुराने कोच डिस्पले बोर्ड पहले ही हटाकर पुल के नीचे रख दिए, जो इन दिनों कबाड़ बने हुए हैं। बोर्ड नहीं होने से सैकड़ों यात्रियों, खासकर बुजुर्गों और महिलाओं को अपने कोच की स्थिति पता करने के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
स्टाफ भी रहता है परेशान
रेलवे स्टेशन पर टे्रनों के आने जाने का समय व कोच का स्थान पता नहीं चलने से यात्री स्टेशन पर मौजूद रेलवे कर्मचारी या पूछताछ खिड़की पर पता करते हैं। कई बार पूछताछ खिड़की पर स्टाफ नहीं रहने पर यात्री स्टेशन मास्टर के पास जाते हैं। स्टेशन मास्टर पर पांच से छह फाटकों को बंद करवाने के लिए गेट मैन से संवाद स्थापित करने का दबाव रहता है, उसी बीच इनकी समस्या भी सुननी पड़ती है। कई बार ट्रेन के आने का समय होने के कारण समयाभाव व सुरक्षा कारणों से जवाब नहीं दे पाने के कारण यात्रियों की कर्मचारियों से तकरार तक हो जाती है।
विभागों में सामंजस्य की कमी
रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए कोच गाइडेंस सिस्टम लगवाया था, लेकिन कुछ माह पहले सिस्टम हटा लिया गया। विभागीय प्रक्रिया में देरी के कारण नए बोर्ड नहीं लग पाए। रेलवे सूत्रों का कहना है कि संबंधित शाखा के अधिकारियों को नए बोर्ड लगाने की अनुमति लेने के बाद ही पुराना सिस्टम हटाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने पहले ही हटा लिया, इससे परेशानी खड़ी हो गई। जिला मुख्यालय स्थित रेलवे स्टेशन से रोजाना औसतन दो दर्जन गाडिय़ों की आवाजाही रहती है। हर रोज करीब 2700 यात्री प्रतिदिन नागौर से यात्रा करते हैं और करीब सवा करोड़ रुपए की मासिक आय रेलवे को होती है।
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