घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत – 881 रुपए, गैस का वजन – 14.2 किलो
कमर्शियल सिलेंडर की कीमत – 1623 रुपए, गैस का वजन – 19 किलो एजेंसी से कमर्शियल सिलेंडर रिफिल करवाने पर उपभोक्ता को 1623 रुपए चुकाने पड़ते हैं, जबकि अवैध रूप से रिफिलिंग कराने पर उपभोक्ता को 1400 से 1450 रुपए लगते हैं। ऐसे में उसे प्रति सिलेंडर करीब 200 रुपए का फायदा हो जाता है। उधर, इस प्रकार का अवैध धंधा करने वाले भी प्रति सिलेंडर 200 से 300 रुपए मिल जाते हैं। यदि यही कार्य खुद उपभोक्ता करे तो उसे दो घरेलू सिलेंडर से एक कमर्शियल सिलेंडर भरने के बाद 9 किलो गैस की बचत हो जाती है।
शहर के गहलोत गैस सर्विस के पास व्यावसायिक श्रेणी के कुल 334 कनेक्शन हैं, जिसके हिसाब से एक महीने में कम से 1000 रिफिलिंग होनी चाहिए, जबकि जुलाई माह में मात्र 95 सिलेण्डर ही रिफिल हुए। यही हाल शहीद सुरेन्द्रसिंह चौहान गैस एजेंसी के हैं, यहां आधे कनेक्शन तो लम्बे समय से रिफिल नहीं होने से डेड हो गए हैं, जबकि करीब 220 व्यावसायिक कनेक्शन चालू हैं, इनमें हर महीने मात्र 30 सिलेंडर रिफिल हो रहे हैं। इनके गोदाम में 400 से अधिक कमर्शियल सिलेंडर स्टॉक में पड़े हैं। क्योंकि कम्पनियां लक्ष्य के हिसाब से लगातार सप्लाई दे रही है।
शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में अधिकतर होटल, मिठाई व चाय की दुकानों में घरेलू गैस सिलेंडर का सरेआम इस्तेमाल हो रहा है। इसके बावजूद ऐसे दुकानदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही। शहर में ज्यादातर होटल संचालकों ने व्यावसायिक गैस के कनेक्शन ले रखे हैं। वहां उनकी खपत हर महीने 4 से 5 सिलेंडर की है, लेकिन वे गैस एजेंसी से व्यावसायिक सिलेंडर रिफिल नहीं करवाते। पत्रिका पड़ताल में यह भी सामने आया कि दिखाने के लिए बाहर तो व्यावसायिक सिलेंडर रखते हैं, लेकिन अंदर चलने वाली भटियों में घरेलू सिलेंडर का उपयोग कर रहे हैं, जहां अधिकारी कभी नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में सरकार को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
गैस वितरकों का कहना है कि 80 फीसदी व्यावसायिक उपभोक्ता एक बार कनेक्शन लेने के बाद दुबारा रिफिलिंग कराने नहीं आते। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार होटल संचालकों ने ही ऐसी व्यवस्था कर ली है कि वे घरेलू गैस सिलेण्डर से कमर्शियल सिलेंडर भर लेते हैं। ऐसे में यदि प्रशासनिक अधिकारी होटल वालों से रिफिलिंग के बिल मांगे तो सारी पोल खुल जाएगी और उनकी चोरी पकड़ी जाएगी।
प्रशासनिक कार्रवाई से बचने के लिए व्यावसायिक उपभोक्ता एक बार कमर्शियल सिलेंडर का कनेक्शन ले लेते हैं, लेकिन वापस रिफिलिंग के लिए नहीं आते। इससे हमारे पास कमर्शिलय का स्टॉक लगातार बढ़ रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि जांच के दौरान उपभोक्ता से रिफिलिंग के बिल मांगे, ताकि यह पता चल सके कि उपभोक्ता ने एजेंसी से रिफिल करवाया या अवैध रूप से भरा है।
– राजेन्द्रसिंह चौहान, संचालक, शहीद सुरेन्द्रसिंह गैस एजेंसी, नागौर
घरेलू गैस का व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में उपयोग करने वालों के खिलाफ जल्द ही जांच कर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यदि कोई घरेलू गैस सिलेंडर से व्यावसायिक सिलेंडर भरवा रहे हैं तो इसकी भी जांच करवाकर सम्बन्धित के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
– पार्थ सारथी, जिला रसद अधिकारी, नागौर