चौधरी ने स्थाई लोक अदालत में एक परिवाद दायर किया। परिवाद में बताया गया कि मेड़ता शहर की आबादी करीब 80 हजार है। मेड़ता की आधी आबादी शहर के मध्य भाग में रहती है। इस कारण पुराने चिकित्सालय भवन में शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य चिकित्सा केन्द्र (सिटी डिस्पेंसरी) चालू किया जाए। साथ ही यहां पर मुख्यमंत्री निशुलक दवा योजना का केन्द्र खोला जाए। जिससे मेड़ता शहर के लोग रात्रि के समय आपताकाल की स्थिति में सिटी डिस्पेंसरी का लाभ उठा सकें। जिससे मेड़ता शहर के वृद्धजन, दिव्यांग एवं बच्चों को चिकित्सा सेवा निरंतर रूप से मिलती रहे। अभी राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय शहर से 3 किमी दूर नागौर बायपास की तरफ है।
मेड़ता रोड कस्बा प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण रेलवे का जंक्शन है। साथ ही जैन धर्म का विश्व प्रसिद्ध पाश्र्वनाथ भगवान का मंदिर भी है। यहां पर्यटक, यात्री आते-जाते रहते हैं। यहां के आसपास के गांवों के लिए मेड़ता रोड बड़ा व्यापारिक स्थल है। मेड़ता रोड कस्बे में पिछले लम्बे समय से ग्रामीणों की ओर से सामुदायिक चिकित्सा केन्द्र की मांग की जाती रही है। मेड़ता रोड से भी छोटे गांवों को सामुदायिक चिकित्सा केन्द्र की सुविधा मिली हुई है। यहां के एकमात्र चिकित्सक को भी हटाकर अन्यत्र स्थानान्तरित कर दिया गया है। अब चिकित्सा केन्द्र केवल नर्सिंग स्टॉफ के भरोसे चल रहा है। जिससेे यहां के लोगों को चिकित्सा सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा है।
जिस पर स्थाई लोक अदालत ने सुनवाई के पश्चात राजस्थान सरकार के चिकित्सा विभाग के निदेशक, अजमेर संयुक्त निदेशक एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी नागौर को 9 दिसंबर को तलब किया है।