यात्रियों के 'जूठन से बनेगी खाद, स्टेशन होगा हरा-भरा
संदीप पाण्डेय
नागौर. यात्रियों के 'जूठन से रेलवे ने खाद बनाने का काम शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत प्रदेश के सात स्टेशन से होगी। नागौर, पाली, बाड़मेर, जैसलमेर, नोखा, मेड़ता रोड व भगत की कोठी में रेलवे डेफटेक एण्ड ग्रीन इंडिया स्टार्ट अप के साथ कम्पोसटर लगाने जा रही है।

संदीप पाण्डेय
नागौर. यात्रियों के 'जूठन से रेलवे ने खाद बनाने का काम शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत प्रदेश के सात स्टेशन से होगी। नागौर, पाली, बाड़मेर, जैसलमेर, नोखा, मेड़ता रोड व भगत की कोठी में रेलवे डेफटेक एण्ड ग्रीन इंडिया स्टार्ट अप के साथ कम्पोसटर लगाने जा रही है। नागौर स्टेशन पर 24 मार्च के बाद कम्पोसटर लगाया जाएगा। इससे पैदा होने वाली खाद का उपयोग स्टेशन के आसपास लगाए गए पेड़ पौधों को हरा-भरा बनाने के लिए किया जाएगा। रिजल्ट बेहतर आने पर अन्य स्टेशनों पर भी यह व्यवस्था होगी। खाद का उत्पादन जब बड़े पैमाने पर होगा तो इसे कम दामों पर किसानों को भी देने का प्लान है।मेरा कचरा-मेरी जवाबदारी के साथ स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत के अभियान के तहत यह योजना शुरू की जा रही है। इसे माय ग्रीन कम्पोसटर का नाम दिया गया है। इसके ढाई सौ लीटर का कम्पोसटर लगाया जाएगा। जिसमें स्टेशन पर बचा/बासी खाना, फल/सब्जी के छिलके व अन्य कूड़ा कचरा इसमें डाला जाएगा। इसके साथ माइक्रोब्स (पाउडर) भी छिड़का जाएगा। 30 से 45 दिन में इससे खाद बनेगी। कम्पोसटर मूवेबल होगा। गीला कचरा इसमें दिन में दो बार डाला जाएगा। इसके लिए रेलवे का एक कर्मी तैनात होगा। इससे रेलवे स्टेशन पर इधर-उधर दिखने वाली गंदगी पर लगाम लगेगी। खाद बनाने की ट्रेनिंग के लिए ग्रीन इंडिया स्टार्ट अप का कार्मिक आएगा। संभवत: अगले हफ्ते तक नागौर में कम्पोसटर से बासी भोजन व अन्य कचरे से खाद बनाने का कार्य शुरू हो जाएगा।
सफाई व्यवस्था ठेके पर
दरअसल अभी स्टेशन की सफाई का कार्य ठेके पर चल रहा है। अलग-अलग बॉक्स में कचरा/वेस्ट सामग्री डालने के लिए कहा जाता है। परेशानी यह है कि अधिकांश यात्री इसका ध्यान नहीं देते तो सफाई के बाद निकलने वाले कचरे को इधर-उधर फैंक दिया जाता है। अब ऐसा नहीं होगा। इससे न सफाई के ठेकेदारों को कचरा फैंकने की परेशानी होगी न ही यह लोगों को बदबू से परेशान करेगा।
स्टेशन होगा हरा-भरा
स्टेशन पर पौधे व लोन के लिए इसका उपयोग होगा। यही नहीं आने वाले समय में बचने वाली खद को शहर में पौधारोपण करने वालों को दी जाएगा। यहां तैयार खाद का इस्तेमाल प्लेटफॉर्म को खूबसूरत बनाने के लिए लगाए गए पौधे/गार्डन में होगा। ऐसे लोग जो पौधारोपण करने और उसकी देखभाल करने की पूरी जिम्मेदारी ले रहे हैं, उन्हें भी मुफ्त खाद उपलब्ध करवाई जाएगी। यह आने वाले समय की तस्वीर है, जब प्रदेश के लगभग हर स्टेशन पर यह सिस्टम लागू होगा। यात्रियों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। रेलवे स्टेशन को साफ-सुधरा बनाने के साथ हरा-भरा बनाने के लिए रेलवे ट्रेक के दोनों ओर ग्रीन एरिया विकसित किया जाएगा। इस दौरान पौधारोपण से लेकर गार्डन बनाने का काम होगा।
यह है राजस्थान में जीरो वेस्ट योजना
जानकार सूत्रों के मुताबिक स्टेशन/ट्रेन में मिलने वाली जूठन और कचरे का उपयोग करने का प्लान बनाया गया है। यह देश के कुछ हिस्सों में कारगर हो गई है। राजस्थान में इसकी शुरुआत इन सात स्टेशन से की जा रही है। परिणाम अच्छे रहे तो पूरे प्रदेश के अन्य स्टेशन पर भी यह व्यवस्था की जाएगी। कम खर्च के साथ बिना बदबू के बिजली/ऊर्जा खर्च के कचरे को 'ठिकाने लगाने का दोहरा फायदा होगा।.
जीरो वेस्ट स्टेशन की पहल
स्वच्छता के लिए अब प्रदेश के रेलवे स्टेशन को जीरो वेस्ट बनाने की पहल की जा रही है। रेलवे और ग्रीन इंडिया स्टार्ट अप मिलकर स्टेशन के सूखे और गीले कचरे का प्रबंधन करेंगे। गीले कचरे से खाद तैयार की जाएगी। सभी स्टेशन इसी तर्ज पर ग्रीन स्टेशन कर दिए जाएंगे। स्टेशन पर गीले कचरे से ऑर्गेनिक खाद बनाने के लिए कम्पोस्टर लगाया जा रहा है। इससे 250 किलो गीले कचरे से खाद तैयार हो सकती है। इसके चलते ट्रेनों से निकलने वाला गीला-सूखा कचरा और प्लेटफॉर्म की दुकानों का सारा वेस्ट इकट्ठा किया जाएगा।
भरत थानवी, प्रतिनिधि ग्रीन इंडिया स्टार्ट अप
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हरियाली में आएगी जानयोजना अच्छी है। इससे स्टेशन पर गार्डन और पौधों को खाद भी मिलेगी साथ ही गंदगी/कचरे का भी निपटारा होगा। कम खर्च में स्वच्छता की अच्छी कोशिश है। रेलवे इसको लेकर सक्रिय है, स्टेशन भी हरा-भरा होगा।
एमएल मीणा, अधीक्षक नागौर स्टेशन
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