यह रहा घटनाक्रम
मामले को लेकर सभापति कृपाराम सोलंकी ने कहा कि इस मामले की जांच पहले एएसपी ने की और मामले को सही माना। इसके बाद मामले की जांच एसओजी को दे दी और सीआई राहुल जोशी ने इसकी जांच शुरु की। लेकिन सीआई ने मामले की कोई जांच नहीं की और ना ही कभी नागौर आकर किसी के बयान दर्ज किये। इसके बावजूद एसओजी के सीआई ने हाईकोर्ट में यह स्टेटस रिपोर्ट पेश की कि कोई मामला नहीं बनता।
मामले को लेकर सभापति कृपाराम सोलंकी ने कहा कि इस मामले की जांच पहले एएसपी ने की और मामले को सही माना। इसके बाद मामले की जांच एसओजी को दे दी और सीआई राहुल जोशी ने इसकी जांच शुरु की। लेकिन सीआई ने मामले की कोई जांच नहीं की और ना ही कभी नागौर आकर किसी के बयान दर्ज किये। इसके बावजूद एसओजी के सीआई ने हाईकोर्ट में यह स्टेटस रिपोर्ट पेश की कि कोई मामला नहीं बनता।
यह कहना है सभापति का..
वहीं सभापति ने कहा कि सुपारी लेने वाले आरोपी बलवीर ने सरेंडर होकर बयान दिये थे कि हरीराम लोमरोड ने उसे सभापति को मारने की सुपारी दी। वहीं कोर्ट में 164 के बयान में भी बलवीर अपने बयान पर कायम रहा और सुपारी लेना स्वीकार किया। लेकिन डेढ साल बाद बलवीर अपने बयान से मुकर गया। बलवीर के मुकरने के आधार एसओजी को मामले में एफआर लगाने की तैयार कर रही है।
वहीं सभापति ने कहा कि सुपारी लेने वाले आरोपी बलवीर ने सरेंडर होकर बयान दिये थे कि हरीराम लोमरोड ने उसे सभापति को मारने की सुपारी दी। वहीं कोर्ट में 164 के बयान में भी बलवीर अपने बयान पर कायम रहा और सुपारी लेना स्वीकार किया। लेकिन डेढ साल बाद बलवीर अपने बयान से मुकर गया। बलवीर के मुकरने के आधार एसओजी को मामले में एफआर लगाने की तैयार कर रही है।
विधायक हनुमान बेनीवाल की सुपारी का भी जिक्र
यह प्रकरण काफी समय से लंबित चल रहा है । गौरतलब है कि करीब डेढ साल पहले सीकर के बदमाश बलवीर ने थाने मेंं पेश होकर पुलिस को बताया था कि उसे हरीराम लोमरोड ने सभापति कृपाराम को मारने की सुपारी दी थी, साथ ही विधायक हनुमान बेनीवाल की सुपारी का भी जिक्र किया गया। जिसके बाद जांच स्थानीय पुलिस ने की और फिर एसओजी को जांच सौंपी गई।
यह प्रकरण काफी समय से लंबित चल रहा है । गौरतलब है कि करीब डेढ साल पहले सीकर के बदमाश बलवीर ने थाने मेंं पेश होकर पुलिस को बताया था कि उसे हरीराम लोमरोड ने सभापति कृपाराम को मारने की सुपारी दी थी, साथ ही विधायक हनुमान बेनीवाल की सुपारी का भी जिक्र किया गया। जिसके बाद जांच स्थानीय पुलिस ने की और फिर एसओजी को जांच सौंपी गई।