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अपने अधिकारों के लिए सतर्क होने लगे उपभोक्ता

अब उपभोक्ता जागरूक हो गए हैं। अपने हक के लिए संबंधित विभाग से समस्या का समाधान नहीं होता तो जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग तक पहुंच रहे हैं।

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उपभोक्ता कानून को सरल राष्ट्रीय भाषा में समझाया जाए

उपभोक्ता को जल्द से जल्द न्याय मिले, इसके लिए आवश्यक सुधार किया जाए

नागौर. अब उपभोक्ता जागरूक हो गए हैं। अपने हक के लिए संबंधित विभाग से समस्या का समाधान नहीं होता तो जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग तक पहुंच रहे हैं। अच्छी बात यह कि जल्द से जल्द परिवादी को यहां न्याय मिल रहा है।

सूत्र बताते हैं कि तकरीबन बारह साल में तीन हजार 134 उपभोक्ताओं ने आयोग में परिवाद दर्ज कराए। इनमें 2362 को कुछ महीनों में ही न्याय मिल गया। असल बात यह है कि सरकारी विभागों में उपभोक्ता के अधिकार को प्राथमिकता ही नहीं मिल रही। विभाग कोई भी हो, उपभोक्ता के साथ ठगी हो रही है। बीमा कम्पनी की बात हो या अन्य विभाग की।

उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए हर साल 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है। इस दिन को इसलिए महत्व दिया गया है कि उपभोक्ताओं को उनके अधिकार व जिम्मेदारी के प्रति जागरूक बनना है। बाजार में होने वाली ग्राहक जमाखोरी, काला बाजारी, मिलावटी चीजों का वितरण, तय मूल्य से ज्यादा कीमत वसूलने जैसी गड़बड़ी को रोका जा सके।

कदम-कदम पर सजग रहना जरूरी

इस संबंध में शहर के कारोबारी के साथ आम लोगों से बातचीत में कई सावधानियां बरतने की जरूरत बताई गई। किराणा मर्चेन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्माराम भाटी का कहना है कि सस्ते के प्रलोभन में उपभोक्ता नुकसान उठाता है। खरीदारी के समय सतर्क रहें, कई बार ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए भी उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन हो रहा है। प्राइवेट नौकरी करने वाले आशीष हो या ज्ञानेश, दीपक अथवा राजेश। यही नहीं शिक्षिका चंदा मीना, संगीता समेत अन्य कामकाजी महिलाओं का भी कहना हैै कि उपभोक्ता को खुद को अपने अधिकार समझने होंगे। अधिकांश मामलों में तो कोई इसे मामूली नुकसान समझकर टाल देता है।

इंश्योरेंस व विद्युत निगम के मामले सर्वाधिक

सूत्र बताते हैं कि आयोग में आने वाले मामलों का जल्द से जल्द निस्तारण हो जाता है। सर्वाधिक परिवाद इंश्योरेंस अथवा बिजली विभाग/इलेक्ट्रीसिटी के हैं। इसके बाद बैंकिंग, हाउसिंग, मेडिकल, रेलवे, टेलीफोन व अन्य हैं। आयोग के पूर्व सदस्य बलवीर खुडख़ुडिय़ा का कहना है कि धीरे-धीरे उपभोक्ता अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो रहे हैं। विभाग की ओर से भी इसके लिए खूब प्रचार-प्रसार किया जाता है। उपभोक्ता को स्वयं भी अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए आगे आना होगा।

उपभोक्ता कानून को सरल राष्ट्रीय भाषा में समझाया जाए। उपभोक्ता को जल्द से जल्द न्याय मिले, इसके लिए आवश्यक सुधार किया जाए। चाहें वो उपभोक्ता आयोग में कर्मचारियों की कमी हो या फिर अन्य विभागों की विजिलेंस टीम, इन पर ध्यान दिया जाए। वस्तुओं की जांच प्रणाली को सुदृढ़ किया जाए।

-दीनदयाल प्रजापत, अध्यक्ष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नागौर