यहां बिजली के खम्भे से बांधकर रखी जाती है ‘खास’ दीवारें
Nagaur latest Hindi News : महाराष्ट्र के पुणे में दीवार ढहने की घटना एक दर्जन से ज्यादा परिवारों को दर्द दे गई। ऐसा हादसा नागौर में कभी भी हो सकता है।

Nagaur Latest News in Hindi : उम्र पूरी हुई पर मजबूरी में खड़े हैं..., तार व खम्भे के सहारे टिका मकानों का वजूद ,शहर में गिरने के कगार पर खंडहर हो चुके दर्जनों मकान, बारिश के दिनों में बड़े हादसों की आशंका , बरसों से खाली पड़े हैं सूने मकान
नागौर.‘हमारी उम्र हो चुकी है पर हम मजूबरी में खड़े हैं। हम उम्र के अंतिम पड़ाव पर है। हमें कहीं बिजली के तारों तो कहीं पत्थरों का सहारा दिया जा रहा है। पता नहीं कब हमारी जिन्दगी के तार टूट जाए और हमारा अस्तित्व मिट्टी में मिल जाए।’ कुछ ऐसी ही पीड़ा है शहर में जीर्ण-शीर्ण इमारतों व पुराने मकानों की। महाराष्ट्र के पुणे में दीवार ढहने की घटना एक दर्जन से ज्यादा परिवारों को दर्द दे गई। ऐसा हादसा नागौर में कभी भी हो सकता है लेकिन जिम्मेदारों को लोगों की जान की परवाह नहीं है। हादसों की आशंका से अनजान मकान मालिक लापरवाह हैं वहीं नगर परिषद व जिला प्रशासन भी आंखें मूंदे हुए है।
अधिकार के अभाव में जर्जर हो रहा स्कूल भवन
डर-डर कर जी रहे लोग
मानसून की आहट से ये खंडहर इमारतें उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है जो वर्षों से बंद पड़ी इन इमारतों के पास रहते हैं। आसमान में काली घटाएं छाते ही इन भवनों के पास रहने वाले लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती है। निराशाजनक बात तो यह है कि गत वर्षों में बरसाती पानी के कहर के कारण जर्जर भवन ढहने की कई घटनाएं होने के बावजूद प्रशासन की निद्रा अब तक नहीं टूटी है। क्षतिग्रस्त मकानों व जर्जर हो चुकी दीवारों का निस्तारण अभी तक प्रशासनिक स्तर पर नही हो पाया है। शहर के कई मोहल्लों व गलियों या फिर रास्तों पर जर्जर हालात में बनी दीवारें या फिर मकान इतने कमजोर हो चुके है कि उनके किसी भी समय गिरने का भय बना हुआ है।
तेज धूप में रहता ज्यादा खतरा
लोढा का चौक, भूरावाड़ी, गूंगसा की गली समेत शहर के भीतरी भागों में जर्जर मकानों व दीवारों के गिरने पर हादसे की आशंका बनी रहती है। कई भवनों का काफी हिस्सा गिर चुका है या झूलते पत्थर गिरने के कगार पर है। आलम यह है कि अपनी जड़ें छोड़ चुकी अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही दीवारों को बिजली के पोल से तार से बांधकर रखा गया है। थोड़ी सी बारिश व तेज हवाओं का झोंका इन्हें धराशायी करने के लिए काफी है। भवनों के कारण हादसे की आशंका को लेकर जिम्मेदार नोटिस देकर कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। जिप्सम से बनी पुरानी इमारतों की दीवारें बारिश के बाद तेज धूप खिलने से फट जाती है।
बरसों से नहीं हुई सार-संभाल
उधर, नगर परिषद अधिकारियों का कहना है कि उनके सामने समस्या यह है कि वे किसको नोटिस जारी करें। जर्जर भवनों के असली मालिक की जानकारी नहीं मिल रही है। कई लोग बरसों से नागौर शहर में रहते ही नहीं है या फिर कई भवन सार-संभाल के अभाव में जर्जर हो गए हैं। लंबे समय से सार-संभाल के अभाव में बारिश के दिनों में इन खंडहर आशियानों के पास रहने वाले लोग भयभीत नजर आ रहे हैं। गिरने योग्य व क्षतिग्रस्त मकानों व भवनों को लेकर राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 243 (1)(2)(3) के तहत कार्रवाई का प्रावधान भी है।
मालिकों को देंगे नोटिस
जर्जर मकानों की मरम्मत करवाने को लेकर नगर परिषद की ओर से अपील कर समय-समय पर नोटिस भी दिए जाते हैं। कहीं कोई भवन जर्जर है तो नोटिस दिया जाएगा।
जोधाराम विश्नोई, आयुक्त, नगर परिषद नागौर
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