scriptबेटियों ने दिखाई प्रतिभा, नागौर जिला प्रदेश में तीसरे पायदान पर | Daughters showed talent, Nagaur district ranked third in the state | Patrika News

बेटियों ने दिखाई प्रतिभा, नागौर जिला प्रदेश में तीसरे पायदान पर

locationनागौरPublished: Jun 02, 2023 09:52:16 pm

Submitted by:

Sandeep Pandey

दसवीं बोर्ड के परिणाम घोषित: इस बार भी छात्राओं का रहा दबदबा- जिले का परिणाम 95.04 फीसदी रहा

दसवीं बोर्ड के परिणाम घोषित: इस बार भी छात्राओं का रहा दबदबा - जिले का परिणाम 95.04 फीसदी रहा

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर की ओर से घोषित दसवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में नागौर जिला प्रदेश में तीसरे स्थान पर रहा। इस बार भी छात्राओं का दबदबा रहा। जिले का परिणाम 95.04 फीसदी रहा।

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

नागौर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर की ओर से घोषित दसवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में नागौर जिला प्रदेश में तीसरे स्थान पर रहा। इस बार भी छात्राओं का दबदबा रहा। जिले का परिणाम 95.04 फीसदी रहा।
झुंझुनूं पहले व सीकर दूसरे स्थान पर रहा। परीक्षार्थियों में रिजल्ट का बेसब्री से चल रहा इंतजार शुक्रवार को खत्म हो गया। नेट के जरिए परिणाम देखने के बाद बधाई के साथ मिठाई का दौर देर रात तक जारी रहा। जिले में छात्रों का परिणाम 94.73 तो छात्राओं का 95.39 प्रतिशत रहा
परिणाम को लेकर गली-मोहल्लों से लेकर स्कूलों तक अलग-अलग नजारे देखने को मिले। यूं तो ग्रीष्मकालीन छुट्टियां चल रही हैं, बावजूद इसके शुक्रवार को कई निजी के साथ सरकारी स्कूलों ने बेहतर अंक लाने वाले छात्र-छात्राओं को बुलाकर सम्मानित किया। मोबाइल के जरिए वेबसाइट पर रिजल्ट देखने के लिए भी होड़ सी दिखी। नागौर जिले में 28 हजार छह सौ छात्रों ने परीक्षा दी। इसमें 13 हजार 217 प्रथम, 10 हजार 368 द्वितीय तथा 35 सौ तीन तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। अन्य पांच केवल उत्तीर्ण हो पाए। 25 हजार 420 छात्राओं में से 13 हजार 684 प्रथम, आठ हजार 405 द्वितीय तथा दो हजार 159 तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण रहीं। जिलेभर में कुल 54 हजार 20 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। इसमें 26 हजार 901 प्रथम, 18 हजार 773 द्वितीय व पांच हजार 662 तृतीय श्रेणी में पास हुए।
जैसे खुद का रिजल्ट आया हो…

रिजल्ट का उत्साह घर-घर देखने को मिला। परिणाम जानने-बताने की हर तरफ उत्सुकता का नजारा था तो बच्चों से ज्यादा खुश उनके अभिभावक दिख रहे थे। तीस-पैंतीस साल पहले के रिजल्ट का दौर बताते हुए राधेश्याम का कहना था कि तब ना नेट था ना मोबाइल। अखबार का इंतजार करते रहते थे। कई-कई बच्चे एक अखबार से रिजल्ट तलाशा करते थे। गीता देवी का कहना था कि तब पढ़ाई का तनाव कम होता था, परिणाम को लेकर इतनी भागमभागी भी नहीं थी। अब तो ऐसे लगता है कि बच्चे का नहीं माता-पिता का रिजल्ट आया हो।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो