हाई-वे के ढाबों से उठाए जाते हैं ‘मजदूर अधिकांश सप्लाई हरियाणा से गुजरात के लिए होती है। पकड़े गए ड्राइवर-क्लीनर से पूछताछ में खुलासा हुआ कि वे विशेष डिलवरी के लिए हाई-वे के ढाबों में बैठते हैं। वहीं शराब भेजने वाले आते हैं, डिलिवरी की रकम तय होती है, उसमें से दस-पंद्रह हजार रुपए की पेशगी दे देते हैं। तय जगह पर ट्रक खड़ा करने यानी माल पहुंचाने के बाद बची हुई रकम देते हैं, वह भी उसी ढाबे में मिलती है। यह भी सही है कि वे तस्कर के बारे में ज्यादा नहीं जानते। अधिकांश शराब बेचने वाले लोग मुख्यत: पेट-पूजा अथवा परिवार चलाने के लिए यह काम करते हैं जबकि मुख्य कमाई तस्कर करते हैं
मुखबिर बढ़े पर प्रोत्साहन राशि कम हुई तकरीबन छह-सात साल पहले मुखबिर प्रोत्साहन योजना शुरू हुई थी। उस समय यह राशि दो लाख रुपए थी, जो अब घटकर सत्तर हजार रह गई है। यूं तो शराब की कमीत का दो तो वाहन की वर्तमान कीमत के आठ प्रतिशत राशि के बराबर प्रोत्साहन राशि दी जाती है। फिर भी कुछ समय पहले सरकार ने इसे अधिकतम सत्तर हजार कर दिया। अधिकांश मामलों में प्रोत्साहन राशि एक-डेढ़ महीने में दे दी जाती है। कई बार पेशगी के रूप में आबकारी अधिकारी मामला पकड़ में आते ही दे देते हैं। यह भी सही है मामला पकड़ में आने के बाद तस्कर पहले मुखबिर की ही तलाश करते हैं। यही वजह है कि मुखबिर चेक के जरिए राशि लेते हैं न ही फोन के जरिए ज्यादा बात करते हैं।
290 मामले, 330 गिरफ्तार नागौर में अप्रेल 2019 से जनवरी 2020 तक तकरीबन 290 मामले अवैध शराब के पकड़े गए। इनमें तीन सौ तीस जनों की गिरफ्तारी हुई। सूत्र बताते हैं कि ये सारे मामले मुखबिर के जरिए भी खुले। यही नहीं पकड़ी गई अवैध शराब की कीमत करीब दो करोड़ से अधिक है। अकेले डीडवाना में ही पकड़े गए ट्रक में सत्तर लाख की शराब थी। तीन ट्रक समेत सात वाहन जब्त हुए। यही नहीं पकड़े गए वाहनों की नंबर प्लेट भी फर्जी होती है। यह सही है कि गिरफ्तारी ऐसे सभी मामलों में हो जाती है।
न आदमी छुड़ाते हैं न वाहन जानकार सूत्रों का कहना है कि डिलवरी तक के लिए भाड़े पर लेने वाले ‘मजदूरोंÓ को पकड़े जाने पर मुख्य तस्कर/सप्लायर नहीं छुड़ाते हैं। अधिकांश मामलों में ये काम गरीब होने के साथ समाज/परिवार से अलग-थलग पड़े चालक-खलासी करते हैं, ऐसे में वे जेल भेजे जाते हैं, बाद में उनकी सुध कोई ले तो ले। इसके साथ जब्त वाहन को छुड़वाने का जुर्माना नहीं भरा जाता।
एक नजर पकड़ी गई शराब पर वर्ष 2018- 2019 2019-2020अंग्रेजी शराब बोतल- 6955 -14674अद्धे 0 – 67पव्वे 319 -20464बीयर 225 -1230देसी शराबपव्वे 11,382 -23,755हथकढ़ 0 -618 लीटर इनका कहना है अधिकांश अवैध शराब हरियाणा से गुजरात जाती है। राजस्थान से जुड़े हाई-वे पर ये पकड़ी जाती हैं। चुनाव के समय भी इसकी स्मलिंग ज्यादा होती है। मुखबिर प्रोत्साहन योजना से भी ऐसे मामलों को पकड़ पाने में वृद्धि हुई है। इसके तहत संबंधित मुखबिर को राशि एक-दो महीने में दे दी जाती है।-अरविन्द प्रताप सिंह, सहायक आबकारी अधिकारी नागौर