ऐसे प्रकट हुई माता
माता के दो मंदिर है, एक डीडवाना स्थित मंदिर है, जिसका निर्माण मंदिर में लगे शिला लेख के अनुसार विक्रम संवत 902 को हुआ थ। जिसे पाढाय माता को परा, पराख्या, पड़ाय, पाड़ला, पाढा, पाढाय, पाड़ोदा, पाण्डोख्या, पाण्डुक्या के नाम से भी पूकारते है। दूसरा मंदिर पांडोराई में है जहां माता को पाण्डोख्या व पाण्डुक्या के नाम से पूजा जाता है। डीडवाना के पाढाय माता मंदिर के संबध में वर्षाे से चला आ रहा एक कथानक है, जिसके अनुसार माता यहां स्थित कैर के दो वृक्षों से प्रकट हुई थी। कथा के अनुसार प्राचीन समय में यहां जंगल था। जहां गाय चरा करती थी, उन गायों में एक सेठ की गाय भी चरने आती थी जो कि वहां स्थित कैर के वृक्ष के पास बैठ जाती। कथा के अनुसार कैर के वृक्ष से एक कन्या प्रकट होती ओर गाय का दूध पी जाती। सेठ ने चरवाहे से पूछा गया कि गाय का दूध कौन निकाल लेता है तो उसने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए पता लगाने की बात कही। चरवाहे ने गाय की निगरानी की तो पाया कि कैर के वृक्ष से एक कन्या प्रकट होकर गाय का दूध पी रही हैं। यह बात उसने शाम को सेठ से कही। जिसके बाद सेठ भी उस स्थान पर गया। उसने भी देखा कि एक बालिका गाय का दूध पी रही है। सेठ ने बालिका से पूछा आप कौन हो? तो कन्या ने कहा मैं आदिशक्ति हूं। तू मेरा मंदिर बना। सेठ ने कहा कि मंदिर बनाने के लिए मैं असमर्थ हूं, इतना धन मेरे पास नही। तो कन्या ने कहा कि तू तेरे घोड़े को लेकर चला जा, जहां तक तेरा घोड़ा दौड़ेगा वह स्थान चांदी की खान में बदल जाएगा। सेठ ने जब घोड़ा दौड़ाया तो धरती कांपने लगी। घबराते हुए सेठ ने पीछे मुड़ कर देख लिया। ओर माता के पास जाकर बोला कि यदि यह जमीन चांदी की खान मे बदल गई तो लोग इसे लूट लेंगे। जिसके बाद कहा जाता है कि माता ने स्थान को कच्ची चांदी (नमक की खान) में बदल दिया।
अन्य भी कथा
पाढाय माता के चमत्कारों को बताने वाली ओर भी कथाएं है। मंदिर पुजारी मोहनलाल सेवक ने बताया कि विश्वभर में प्रसिद्ध डीडवाना की नमक की खान माता का ही आशीर्वाद है। साथ ही जिस सेठ भैरूलाल सारड़ा ने मंदिर का निर्माण करवाया था उस संबध में भी एक कथा है जिसके अनुसार सेठ की र्मंछ का एक बाल एक लाख रुपए की कीमत का था। लक्खी बनजारे की माता के द्वारा डाकुओं से रक्षा करना, झील क्षेत्र में बरसों पहले भरे पानी को अंग्रेज अधिकारी की प्रार्थना के बाद माता द्वारा सुखा देने की कथा भी है। कथा के अनुसार अंग्रेज अधिकारी की ओर से मंदिर में बरामदा भी बनवाया गया।