नागौर

स्वीटी अब साध्वी चित्तलेहंजना तो सुरभि साध्वी चित्तखरांजना बन गई

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नागौरFeb 10, 2019 / 04:12 pm

Rudresh Sharma

deeksha mahotsav

नागौर. नागौर के खजांची परिवार में नाजों से पली स्वीटी (२९) अब साध्वी चित्तलेहांजना कहलाएगी और सुरभि (२८) अब साध्वी चित्तखरांजना के नाम से जानी जाएंगी। हजारों लोगों की मौजूदगी में दोनों बहनों ने रविवार को सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया। सौ वर्ष बाद इस कुल में फिर से कोई त्याग और तप के पथ पर निकला है। इस पल का साक्षी बनने के लिए न केवल समूचा नागौर बल्की देश- प्रदेश के विभिन्न स्थानों से जैन श्रद्धालु पहुंचे। रविवार सुबह ६ बजे दोनों बहनों ने अपने घर का त्याग कर सांसारिक जीवन को अलविदा कह दिया। इस पहले शनिवार को अपनी लाडली बेटियों के लिए ममत्व भाव लिए गलियों में खड़ा नजर आया, जिस गली से मुमुक्ष बहनों का वर्षीदान वरघोड़ा निकला, लोग गलियारों को जयकारों से गूंजायमान करते देखे गए। जिस गली-मोहल्ले से मुमुक्षु बहनों का वरघोड़ा निकला, लोग उन्हें देखने के को आतुर नजर आए। सजे-धजे हाथी पर सवार इन दोनों बहनों को देखते ही मन में श्रद्धा और प्रेम का झरना-सा बह निकला। हंसने-खेलने की उम्र में साध्वी जीवन के कठिन सफर पर निकलने वाली इन बहनों को देखकर ही कइयों की आंखों से आंसू बहने लगे। स्वयं माता-पिता और समाज के वरिष्ठ महिला-पुरूष भी इन लाडली बेटियों के आगे-आगे चलकर आंखों से रास्ते के कंकर चुनने का सौभाग्य लेते दिखे। रविवार का दिन नागौर और यहां के बाशिंदों के लिए त्याग और श्रद्धा के उत्सव के रूप में मनाया जाएगा।
सुबह दीक्षा के बाद फूलों से नाजुक इन बेटियों को अपने रास्ते और सफर अपने विवेक से ही तय करने होंगे। बैण्ड-बाजे, हाथी की पालकी, रथ समेत कई तरह से मुमुक्षु बहनों के वर्षीदान वरघोड़े को सजाया गया। इस वरघोड़े में हजारों की संख्या में समाज व नागौर के बाशिंदे शामिल हुए। बैण्ड बाजों की मधुर धुनों ने लोगों को आनंदित कर दिया। उत्साह और भक्तिभाव से भरे लोगों ने जगह-जगह जयकारे लगाकर आनंद को और भी बढ़ा दिया। कई जगह मुमुक्षु बहनों का सत्कार किया गया।

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