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परिवहन विभाग ने जिला प्रशासन को किया गुमहराह

locationनागौरPublished: Sep 12, 2018 11:40:44 am

Submitted by:

Sharad Shukla

परिवहन विभाग ने नगरपरिषद को आज तक नहीं सौंपी शहर क्षेत्र में आटो रिक्शा किराया सूची, पड़ताल में सामने आया सच, एक साल से जिला प्रशासन सहित सभी को परिवहन विभाग करता रहा गुमराह करने का खेलता खेल

Nagaur patrika

Where the auto ambulance is going on, do not know …

नागौर. शहर के विभिन्न क्षेत्रों में गंतव्यों तक ऑटो या टेक्सी आदि से पहुंचने के लिए निर्धारित दूरियों की किराया सूची परिवहन विभाग ने कभी बनाई ही नहीं और न ही नगरपरिषद को ऐसी कोई सूची सौंपी। जबकि जिला यातायात सलाहकार समिति की बैठक में हर बार परिवहन विभाग की ओर से प्रशासन को यह कहकर गुमराह किया जाता रहा कि सूची बनाकर नगरपरिषद को सौंप दी। इस संबंध में पड़ताल किए जाने पर परिवहन विभाग का जिला प्रशासन को गुमराह करने झूठ सामने आया। पड़ताल में पता कि परिवहन विभाग ने तो सामान्य रूप से शहरी क्षेत्र में इधर से उधर न्यूनतम दूरियों तक रोजाना सफर करने वाले यात्रियों के किराए दर की सूची कभी बनाई ही नहीं तो, फिर सौंपेगा कहां से…! परिवहन विभाग ने तो नगरपरिषद को केवल प्रति किलोमीटर के किराए दर की अधिसूचना ही दी थी। इसे ही किराया सूची बताकर परिवहन विभाग के अधिकारी गुमराह करने का खेल लंबे समय से चल रहा था। जबकि अधिसूचना पर नजर डालने पर स्पष्ट हो जाता है कि यह रिजर्व में जाने यात्रियों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इस संबंध में जब परिवहन विभाग के जिम्मेदारों से बातचीत करने का प्रयास किया तो वे कुछ भी स्पष्ट तौर पर कहने से बचते रहे। शहरी सीमा क्षेत्र में विभिन्न स्थानों तक स्थानीय स्तर पर सफर करने वाले यात्रियों के किराए दर की सूची परिवहन विभाग ने जिला प्रशासन के निर्देश के बाद भी नहीं बनाई। जबकि पिछले एक साल से परिवहन विभाग की ओर से लगातार यही बताया जाता रहा कि सूची बनाकर नगरपरिषद को सौंप दी गई है। अब उसे सार्वजनिक एवं रेलवे व केन्द्रीय बस स्टैंड तथा ऑटो स्टैंडों पर चस्पा कराना नगरपरिषद का काम है। परिवहन विभाग की ओर से सूची मिलने के बाद भी नगरपरिषद की ओर से चस्पा नहीं होने की सघनता से जांच की गई तो चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई। पता चला कि परिवहन विभाग ने परिषद को कोई सूची नहीं दी है। उसने तो केवल आरक्षित दर पर टेक्सी किराए पर लिए वाले यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखकर जारी अधिसूचना की प्रति नगरपरिषद को सौंपी है। इस अधिसूचना में केवल यह बताया गया कि प्रति किलोमीटर की दर से यात्री अपने सामान सहित कितना शुल्क अदा कर यात्रा कर सकता है।
जिला कलक्टर ने जिला यातायात सलाहकार प्रबंधन समिति की बैठक में तत्कालीन जिला परिवहन अधिकारी ओमप्रकाश बुडानिया को शहर के विभिन्न क्षेत्रों के सर्वे कराकर किराए दर का निर्धारण कर सूची बनाकर सौंपने के निर्देश दिए। यह निर्देश करीब एक साल पूर्व दिए थे। इसके बाद कई बार इसकी हुई जिला स्तरीय बैठकों में किराए दर का मामला उठने पर परिवहन विभाग की ओर से यही बताया जाता रहा कि सर्वे कराकर किराए दर का निर्धारण करने के बाद सूची नगरपरिषद को सौंप दी गई है। जबकि वास्तव में परिवहन विभाग की ओर से न तो सर्वे कराया गया, और न ही किराए दर की सूची नगरपरिषद को दी गई। यही वजह रही कि अब तक सार्वजनिक स्थानों आदि पर आटो रिक्शा किराए दर की सूची नहीं लगाई जा सकी।
प्रशासन भी गुमराह या जानकर अनजान
जानकारों का कहना है कि परिवहन विभाग की ओर से किराए दर की जारी अधिसूचना नगरपरिषद को दिए जाने के मामले में प्रशासन भी जानकर अनजान बना रहा। नहीं तो परिवहन एवं नगरपरिषद के अधिकारी भी जिला कलक्टर की अध्यक्षता में होने वाली इस तरह की जिला स्तरीय बैठकों में शामिल होते रहे हैं। दोनों ही विभागों के मुखिया को इस संबंध में बराबर दिशा-निर्देश दिए जाते रहे। इसके बाद भी जिला प्रशासन का किराए दर की सूची एवं अधिसूचना को लेकर भ्रमित रहने की स्थिति होना समझ से है। साफ है कि परिवहन विभाग ने सूची तो नहीं बनाई, केवल अधिसूचना ही सौंपी। यह जानकारी होने के बाद भी जिला प्रशासन के मुखिया का इस मामले में शिथिलता देने का खामियाजा आम यात्रियों को अब तक भुगतना पड़
रहा है।
इनका कहना
इस संबंध में जिला परिवहन अधिकारी रमेश वैष्णव से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि अभी तो कुछ समय पहले ही उन्होंने यहां का पदभार संभाला है। विभिन्न कार्यक्रमों व प्रशासनिक कार्यों की व्यस्तता के कारण इस पर उनकी ओर से ध्यान नहीं दिया जा सका। इस संबंध में पता कर ही सही वस्तुस्थिति बता सकते हैं।

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