रामकथा का सार बताते हुए महाराज ने कहा कि अटूट प्रेम से ही भगवान की कृपा प्राप्त होती है। प्रेम से वशीभूत होकर ही प्रभु निर्गुण से सगुण रूप में दर्शन देते हैं। महाराज ने बताया श्रीराम ने अपना विशाल रूप माता कोशल्या को बताया तो माता कोशल्या को भ्रम हुआ कि यह मेरा पुत्र नहीं है पर जब सांसारिक जीव अपनें धर्म से अपने पथ से भटक जाता है, भगवान उसे दु:ख के माध्यम से दिखाते है कि भगवान को भूलने का यही परिणाम होता है तथा माता कोशल्या को भगवान का विराट रूप दिखाने का यहीं मतलब होता है। इस अवसर पर सुनील खंडेलवाल, भीकम चंद अटल, नरसिंह अटल, बालाराम हेड़ा, दामोदर हेड़ा, जुगल किशोर हेडा, शिवनारायण हेड़ा, बाबूलाल हेड़ा, सत्यनारायण सोनी, रामकुमार सोनी, पुखराज सोनी, गौतम सेन सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।