कतारों में नहीं दिखी डिस्टेंसिंग
तम्बाकू पदार्थों की बिक्री पर लगी रोक खुलने के बाद लोग दुकानों पर खरीदारी के लिए उमड़ रहे हैं। शनिवार को शहर में किसी ने अफवाह उड़ा दी कि तम्बाकू पदार्थों की बिक्री पर वापस रोक लगने वाली है। इस पर लोग दुकानों के बाहर कतार लगाने लगे, ताकि जल्द से जल्द अपने लिए स्टॉक कर सके। इन कतारों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर परस्पर धक्का-मुक्की और हो गई।
तम्बाकू पदार्थों की बिक्री पर लगी रोक खुलने के बाद लोग दुकानों पर खरीदारी के लिए उमड़ रहे हैं। शनिवार को शहर में किसी ने अफवाह उड़ा दी कि तम्बाकू पदार्थों की बिक्री पर वापस रोक लगने वाली है। इस पर लोग दुकानों के बाहर कतार लगाने लगे, ताकि जल्द से जल्द अपने लिए स्टॉक कर सके। इन कतारों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर परस्पर धक्का-मुक्की और हो गई।
पॉट में ही थूक जाते पीक
शहर के दो सार्वजनिक स्थलों पर गुटखे के पीक से सनी दीवारें भी अपनी कहानी खुद कह रही थी। खाई की गली में सुविधा केंद्र पर लोगों ने पॉट में ही पीक थूक रखी है। वहीं गांधी चौक स्थित सुलभ शौचालय की दीवार भी पीक से रंगी नजर आई। कुछ ऐे ही हाल शहर के अन्य सार्वजनिक स्थलों के है। इन पर रोकाथाम कब लगेगी कहना मुश्किल है।
शहर के दो सार्वजनिक स्थलों पर गुटखे के पीक से सनी दीवारें भी अपनी कहानी खुद कह रही थी। खाई की गली में सुविधा केंद्र पर लोगों ने पॉट में ही पीक थूक रखी है। वहीं गांधी चौक स्थित सुलभ शौचालय की दीवार भी पीक से रंगी नजर आई। कुछ ऐे ही हाल शहर के अन्य सार्वजनिक स्थलों के है। इन पर रोकाथाम कब लगेगी कहना मुश्किल है।
हर जगह नजर आते गुटखा के पाउच
जिले में गुटखा खाने वाले लोगों की संख्या घटने के बजाय दिनों दिन बढ़ रही है। शहरी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि गांव व कस्बों में बड़ी संख्या में गुटखा का सेवन करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में युवा ही नहीं छोटी उम्र के बच्चे का खुलेआम गुटखा का सेवन करने लगे हैं। यही कारण है कि हर गली मोहल्ले में खान-पान की अन्य वस्तुएं उपलब्ध नहीं हो, लेकिन गुटखा के पाउच जरूर नजर आएंगे।
जिले में गुटखा खाने वाले लोगों की संख्या घटने के बजाय दिनों दिन बढ़ रही है। शहरी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि गांव व कस्बों में बड़ी संख्या में गुटखा का सेवन करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में युवा ही नहीं छोटी उम्र के बच्चे का खुलेआम गुटखा का सेवन करने लगे हैं। यही कारण है कि हर गली मोहल्ले में खान-पान की अन्य वस्तुएं उपलब्ध नहीं हो, लेकिन गुटखा के पाउच जरूर नजर आएंगे।
युवाओं में ज्यादा है क्रेज
सरकारी कार्यालयों में तंबाकू पदार्थों के सेवन पर जुर्माना लगाने के बोर्ड लगे हुए हैं, लेकिन कर्मचारी खुद ही गुटखा खाते नजर आते हैं। सरकार कार्यालयों की दीवारें इसकी गवाह है। एक अनुमान के मुताबिक गुटखे का सेवन करने वालों में 38 साल तक के युवाओं की संख्या ज्यादा है।
सरकारी कार्यालयों में तंबाकू पदार्थों के सेवन पर जुर्माना लगाने के बोर्ड लगे हुए हैं, लेकिन कर्मचारी खुद ही गुटखा खाते नजर आते हैं। सरकार कार्यालयों की दीवारें इसकी गवाह है। एक अनुमान के मुताबिक गुटखे का सेवन करने वालों में 38 साल तक के युवाओं की संख्या ज्यादा है।