– नागौर के चाऊ गांव में वाल्मीकि समाज की अनाथ बेटी पुष्पा के माता-पिता का निधन होने से देवाराम जाखड़ ने उठाया शादी का जिम्मा- देवाराम केवल शादी का खर्च ही नहीं उठाएंगे, बल्कि खुद के घर से रवाना करेंगे पुष्पा की डोली
पुष्पा की शादी का कार्ड
श्यामलाल चौधरी नागौर. नागौर जिले के चाऊ गांव में 29 नवम्बर को एक ऐसा इतिहास लिखा जाएगा, जो समाज में उदाहरण बनेगा। जी हां, 29 नवम्बर को चाऊ गांव के एकमात्र वाल्मीकि परिवार की बेटी पुष्पा की शादी है। पुष्पा के माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं है। इसलिए उसकी शादी का जिम्मा गांव के देवाराम जाखड़ ने उठाया है। देवाराम उर्फ ‘देवजी’ न केवल पुष्पा की शादी का पूरा खर्च उठाएंगे, बल्कि खुद की बेटी की तरह अपने घर के आंगन में ‘राम’ के साथ फेरे करवाने के बाद डोली को रवाना करेंगे। सामाजिक रीति-रिवाज के अनुसार जो रस्में एक जाट परिवार में निभाई जाती है, वे सब ‘देवजी’ पूरी करेंगे। ठाठ से, प्रेम और पूरे सम्मान से।
ध्येय – एक कदम व्यवस्था परिवर्तन की ओर… देवाराम ने पुष्पा की शादी का जो कार्ड छपवाया है, वो सामान्य विवाह का कार्ड नहीं है। उसमें विवाह स्थल जाखड़ सदन लिखवाया है। इसके लिए उन्होंने वर-वधू दोनों पक्ष से पहले ही अनुमति ले ली थी। वे चाहते तो इस विवाह के लिए पैसे दे सकते थे, लेकिन उनकी ज़िद थी कि जब परिवर्तन करना ही है तो फिर जाति, धर्म, नस्ल का भेद मिटाकर हमें सही रूप से शिक्षित होने का परिचय देना होगा। कार्ड में ज्योतिबा फुले, डॉ. भीमराम अम्बेडकर, बिरसा मुंडा, भगतसिंह, कार्ल मार्क्स, सर छोटूराम जैसे महापुरुषों के संदेश लिखवाए गए हैं।
उदरासर से आएगी बारात चार साल पहले पुष्पा की माता अन्नदेवी का व छह माह पहले पिता ओमप्रकाश का निधन हो गया था। पीछे भाई बहन रह गए। पुष्पा की शादी डीडवाना के निकट उदरासर निवासी राम के साथ तय हुई है। राम दसवीं पास है।
IMAGE CREDIT: patrika खेती करते हैं देवाराम देवाराम जाखड़ के दो बेटे हैं और दोनों सरकारी सेवा में हैं। एक सीआईएसएफ में और एक एयर फोर्स में। देवाराम पहले प्राइवेट जॉब में थे, लेकिन अब खेती करते हैं और इनकी पत्नी आंगनबाड़ी में हैं। बेटी पढ़ाई कर रही है। शिक्षित परिवार ने सच में शिक्षित होने का उदाहरण पेश किया है।
जातिवादी तत्वों को करारा जवाब देवाराम जाखड़ ने समाज के सामने ऐसा उदाहरण रखा है, जो जातिवादी तत्वों को करारा जवाब है । उनके परिवार ने शिक्षित होने को सार्थक किया है। अपने घर से वाल्मीकि परिवार की बेटी का विवाह करके उन्होंने बाबा रामदेव और डाली बाई के प्रसंग व तेजाजी, पाबू जी महाराज जैसे लोकदेवताओं की याद दिला दी, जो दूसरों के लिए जीने का संदेश दे गए थे। देवाराम ने एक साथ दो काम कर दिए – छूआछूत पर प्रहार करने के साथ ही जरूरतमंद व असहाय की मदद के लिए अपने आंगन को सुपुर्द कर दिया।