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विकास ने बदली गांव की सूरत, प्यास बुझाने का साधन बने कभी गंदगी से अटे रहने वाले तालाब

locationनागौरPublished: Oct 20, 2019 10:21:57 pm

Submitted by:

Sandeep Pandey

शिक्षित महिला सरपंच के प्रयास, पांच साल में 11 करोड़ रुपए व्यय कर बदली गांव की सूरत, जिला स्तर पर सम्मानित हो चुकी है ग्राम पंचायत

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मौलासर. पंचायत समिति मौलासर का गांव अलखपुरा आज अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। गांव के आम रास्ते जो कभी गंदगी एवं रेत से लबालब रहते थे। आज गांव की सुन्दरता का पर्याय बन गए हैं।

गिरधारी भाटी

मौलासर. पंचायत समिति मौलासर का गांव अलखपुरा आज अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। गांव के आम रास्ते जो कभी गंदगी एवं रेत से लबालब रहते थे। आज गांव की सुन्दरता का पर्याय बन गए हैं। बरसात में जो रास्ते पानी से भर जाते थे वहां आज इंटरलॉकिंग ब्लॉक से सुसज्जित रास्ते स्वच्छ भारत मिशन की मिसाल दे रहे हैं। इतना ही नहीं जिस शमशान भूमि में कंटीली झाडिय़ों का राज था वहां लगे पौधे पर्यटक स्थल सा आभास देते हैं। गांव की गलियों में एक भी आवारा पशु घूमता दिखाई नहीं देता है। कारण कि पशुओं के लिए चरागाह विकसित कर दिया गया है। चरागाह में उगी विशेष प्रकार की घास पशुओं को लुभा रही है। गांव से संबंधित विकास परियोजनाओं पर पांच वर्ष के कार्यकाल में अब तक लगभग ११ करोड़ रुपए से अधिक व्यय हो चुके हैं।
दरअसल गांव अलखुपरा-झाड़ोद के बढ़ते विकास के पीछे गांव की पढ़ी-लिखी सरपंच अनिता बिजारणियां का विजन है। सरंपच की सोच गांव को आदर्श बनाने की है। जिसके लिए वे लोगों को निरंतर प्रेरित करते हुए उनका सहयोग ले रही हैं।

पत्रिका संवाददाता ने अलखपुरा गांव का दौरा किया और सरपंच से गांव के विकास पर विस्तार से चर्चा की। सरपंच अनिता ने बताया कि उनकी ग्राम पंचायत भी पहले अन्य ग्राम पंचायतों की भांति सामान्य ग्राम पंचायत थी। दूसरे गांवों की तरह अनेक समस्याएं थी। गांव के मुख्य तालाबों व जोहड़ में पानी कम और गंदगी ज्यादा थी। घरों का गंदा पानी नालियों से ओवरफ्लो होकर गलियों में फैला रहता था। गांव के अधिकतर रास्ते व गलियां कच्चे थे। उन्होंने जब सरपंच का कार्यभार संभाला तो गांव की तस्वीर बदलने की कोशिश शुरू की।

मॉडल तालाब बुझाएंगे प्यास
मनरेगा के तहत ग्राम पंचायत की ओर से दो तालाबों को मॉडल तालाब का रूप दिया है, यह लोगों की प्यास बुझाने में उपयोगी होंगे। उन्होंने बताया कि उनकी ग्राम पंचायत में दो बड़े तालाब है। इन तालाबों का पक्का निर्माण होने के बाद इन में साल भर बारिश का पानी सुरक्षित रहेगा जो आमजन के उपयोग में आएगा।

आकर्षित प्रवेश द्वार
लोक देवता बाबा रामदेव मंदिर के सामने खाटू के पत्थर पर की गई विशेष तरह की कारीगरी से बनाया गया प्रवेश द्वार हर कोई को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इसके अलावा गांव में पेड़ों के नीचे चबूतरे बनावाए जा रहे हैं तथा मंदिर के पास पक्षियों को दाना डालने के लिए पक्का निर्माण किया जा रहा है।

चरागाह बना पशुओं के लिए वरदान
गांव की गलियों एवं आम रास्तों में आवारा पशु भूखे-प्यासे नहीं घूमे इसके लिए ४० बीघा जमीन पर पशु चरागाह विकसित करवाया गया है। जिसमें विशेष किस्म की हरी (धामन) घास उगाई गई है। इस घास को पशु बड़े चाव से खाते है। चरागाह विकसित करने का उद्देश्य लावारिस पशुओं के लिए चारा-पानी की व्यवस्था करना एवं ग्रामीणों को लावारिस पशुओं से निजात दिलाना था, जिसमे कुछ ही समय में काफी हद तक मेहनत रंग लाई हैं। बड़े बुजुर्गों की सलाह मशविरा से करने के चलते पुलिस मुकदमों में अप्रत्याशित कमी आई है।

ग्रामीण वर्षा जलसंग्रहण के लिए हुए जागरूक
सरपंच अनिता ने अलखपुरा ग्राम पंचायत क्षेत्र में भूमिगत पेयजल की कमी को देखते हुए क्षेत्र में वर्षा जल संग्रहण के लिए ग्रामीणों में जागरुकता लाने के लिए मिशन के रूप में कार्य किया। इसके लिए सक्षम लोगों को स्वयं के स्तर पर घरों में वर्षा जल संग्रहण के टांके बनाने एवं गरीब परिवारो ंको सरकारी योजनाओं से टांके बनवाकर जल संग्रहण के लिए प्रेरित किया। अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में लगभग साढ़े तीन सौ से अधिक जल संग्रहण के टांके सरकारी योजनाओं से और लगभग इतने ही ग्रामीणों की जागरुकता से व्यक्तिगत खर्च कर निर्मित करवाएं है। साथ ही गरीब परिवारों को मनरेगा योजना से पक्के पशु आश्रय निर्माण करवाकर लाभाविन्त करवाया है।

खेल स्टेडियम निखारेगा ग्रामीण प्रतिभा
ग्राम पंचायत अलखपुरा में करीब १६ लाख रुपए की लागत से बना खेल स्टेडियम ग्रामीणों क्षेत्र में छुपी खेल प्रतिभाओं को निखार रहा है। पंचायत ने सरकारी स्कूल के पास खिलाडिय़ों के लिए खेल स्टेडियम का निर्माण करया गया है। खेल मैदान में दर्शकों के लिए दर्शक दीर्घा का निर्माण कराया गया है।

पौधारोपण में नई तकनीक हुई कामयाब
चरागाह व अंगोर भूमि में जिला कलक्टर दिनेशकुमार यादव और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी द्वारा डीप रूट वाटरिंग प्रणाली द्वारा सघन पौधरोपण किया गया। जिसके अन्तर्गत ग्राम पंचायत की ओर से विभिन्न प्रजाति के तीन सौ छायादार व फलदार पौधे लगाए गए थे। सभी पौधे डीप रूट वाटङ्क्षरग प्रणाली से लगाएं गए पौधे आज भी जीवित हैं।

सरपंच का कहना
जागरुकता एवं तकनीक के साथ इच्छा शक्ति से किए गए कार्यों का परिणाम धरातल पर अवश्य ही आता है। इसी मंशा के साथ गांव के विकास के लिए हमेशा प्रयासरत रहती हूं। जिसमें गांव के प्रत्येक नागरीक का सहयोग है

अनिता बिजारणियां, सरपंच ग्राम पंचायत अलखपुरा।

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