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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी : भक्त कान्हा के रंग में रंगे नजर आएंगे

locationनागौरPublished: Aug 11, 2020 09:17:43 pm

Submitted by:

Jitesh kumar Rawal

मंदिरों के पट बंद रहेंगे और घरों में होगी पूजा-अर्चना, बाल गोपाल को पालने में झूला कर खुशहाली की मन्नत मांगी जाएगी

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी : रंगत जरूर फीकी रहेगी पर उमंग में कोई कमी नहीं

नागौर. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में कान्हा के लिए पीले वस्त्र खरीद रही महिला।

नागौर. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बुधवार को धूमधाम से मनाई जाएगी। श्रद्धालु व्रतोपवास करेंगे एवं बाल गोपाल को पालने में झूला कर खुशहाली की मन्नत मांगी जाएगी। लोग कान्हा के रंग में रंगे नजर आएंगे। पर्व की तैयारी को लेकर बाजार में लोगों की आवाजाही रही। पूजा-सामग्री एवं फलों की अच्छी बिक्री हुई। हालांकि कोरोना महामारी को देखते हुए मंदिरों के पट बंद रहेंगे, जिससे श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन नहीं हो पाएंगे। लोग घरों में ही पूजा-अर्चना करेंगे। ऐसे में इस बार रंगत कुछ फीकी रह सकती है, लेकिन भक्ति की उमंग में कोई कमी नजर नहीं आ रही। गांवों में कई जगह परम्परानुसार मिटटी के कानूड़ा स्थापित किए जाएंगे। (Sri Krishna Janmashtami 2020)
इसलिए बुधवार को पर्व मनाना श्रेयस्कर
हालांकि इस बार वृद्धि तिथि के कारण कुछ असमंजस भी सामने आ रहा है, लेकिन पंडितों की राय में बुधवार को ही जन्माष्टमी मनाना श्रेयस्कर बताया गया है। यूं तो यह पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है, लेकिन इस बार तिथियों की घट-बढ़ के कारण मतभेद है। कोई 11 अगस्त बता रहा है तो कोई 12 अगस्त। अधिकांश पंचांग में इसके लिए 12 अगस्त की तारीख तय की गई है। पं.मालचंद्र दाधीच ने बताया कि जन्माष्टमी का पर्व बुधवार को मनाना श्रेयस्कर है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वैष्णव जन्माष्टमी के लिए 12 अगस्त का शुभ मुहूर्त बताया जा रहा है। पंडितों के अनुसार बुधवार की रात 12.05 बजे से 12.47 बजे तक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जा सकती है।
लगेगा पंजीरी का भोग
मंदिरों के पट बंद रहने से घरों में ही परम्परानुसार झूला लगाकर पूजा अर्चना की जाएगी। कान्हा को नए पीले वस्त्र पहनाए जाएंगे और मध्यरात्रि को बारह बजे जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान हाथी-घोड़ा पालकी, जय कन्हैयालाल की, नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की… के जयकारे गुंजायमान रहेंगे। कान्हा जन्म पर पंजीरी का भोग लगाकर प्रसाद बांटा जाएगा। गांवों में मिट्टी के कानूड़ा स्थापित किए जाएंगे।

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