हालांकि इस बार वृद्धि तिथि के कारण कुछ असमंजस भी सामने आ रहा है, लेकिन पंडितों की राय में बुधवार को ही जन्माष्टमी मनाना श्रेयस्कर बताया गया है। यूं तो यह पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है, लेकिन इस बार तिथियों की घट-बढ़ के कारण मतभेद है। कोई 11 अगस्त बता रहा है तो कोई 12 अगस्त। अधिकांश पंचांग में इसके लिए 12 अगस्त की तारीख तय की गई है। पं.मालचंद्र दाधीच ने बताया कि जन्माष्टमी का पर्व बुधवार को मनाना श्रेयस्कर है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वैष्णव जन्माष्टमी के लिए 12 अगस्त का शुभ मुहूर्त बताया जा रहा है। पंडितों के अनुसार बुधवार की रात 12.05 बजे से 12.47 बजे तक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जा सकती है।
मंदिरों के पट बंद रहने से घरों में ही परम्परानुसार झूला लगाकर पूजा अर्चना की जाएगी। कान्हा को नए पीले वस्त्र पहनाए जाएंगे और मध्यरात्रि को बारह बजे जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान हाथी-घोड़ा पालकी, जय कन्हैयालाल की, नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की… के जयकारे गुंजायमान रहेंगे। कान्हा जन्म पर पंजीरी का भोग लगाकर प्रसाद बांटा जाएगा। गांवों में मिट्टी के कानूड़ा स्थापित किए जाएंगे।