नागौरPublished: Jul 28, 2021 11:40:49 pm
Sharad Shukla
Nagaur.जयमल जैन पौषधशाला में चल रहे चातुर्मास के तहत विविधि कार्यक्रम
Shravikas listening to the discourse at Jaimal Jain Poushdashala
नागौर.धर्म शुद्ध हृदय में ठहरता है। यदि मन में मलिनता हो तो जीवन में धर्म स्पर्श ही नहीं होता। यह बात जयगच्छीय जैन साध्वी बिंदुप्रभा ने कही। वह बुधवार को जयमल जैन पौषधशाला में चातुर्मास कार्यक्रम में चल रहे प्रवचन में धर्म की आत्मिक विशेषताएं समझा रही थीं। आत्मा जब तक अशुद्ध दशा में बरतती है, विभाव दशा में रहती है तो संसारी कहलाती है। परम शुद्ध दशा को प्राप्त कर स्वभाव में स्थित हो जाना परमात्मा कहलाती है। तर्क उस दशा का वर्णन नहीं कर सकती और मति उसका अनुभव ग्रहण नहीं कर सकती। साध्वी ने आत्मा की पांच श्रेणियों का विवेचन करते हुए कहा कि प्रसुप्त एवं सुप्त आत्मा मोह निद्रा में सोए होने की वजह से आत्म बोध प्राप्त नहीं करते। जागृत आत्मा की दशा से अनंत काल से चढ़ी हुई मिथ्यात्व की परतें टूट जाती हैं। आत्मा अपने स्वरूप का बोध प्राप्त कर जाग उठती है। उत्थित आत्मा की श्रेणी में साधक को प्रमाद त्यागने का संदेश दिया जाता है। और अंतिम समुत्थित आत्मा की श्रेणी श्रेष्ठ श्रेणी कही जाती है। जिसमें साधक मोक्ष मार्ग पर कदम बढ़ाने की तैयारी करता है।महाचमत्कारिक जयमल जाप प्रवचन की प्रभावना दशरथचंद, वीरेंद्रकुमार, अजय, सुरेश लोढ़ा की ओर से वितरित की गयीं। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रकाशचंद बोहरा, हरकचंद ललवानी, रेखा लोढ़ा एवं चंचलदेवी बेताला ने दिए। प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता के विजेताओं को मोतीमल, मनोज, जितेंद्र ललवानी की ओर से पुरस्कृत किया गया। आगंतुकों के भोजन का लाभ नरपतचंद, प्रमोद ललवानी ने लिया। मुदित पींचा ने बताया कि जयमल जैन पौषधशाला में दोपहर डेढ़ बजे से दो बजे तक साध्वी वृंद ने ज्ञान-ध्यान सिखाया। दोपहर दो बजे से तीन बजे तक महाचमत्कारिक जयमल जाप का अनुष्ठान किया। सूर्यास्त पश्चात पुरूष वर्ग का प्रतिरमण जयमल जैन पौषधशाला में एवं महिला वर्ग का प्रतिरमण रावत स्मृति भवन में किया गया। मंच का संचालन संजय पींचा ने किया। इस मौके पर प्रेमचंद चौरडिय़ा, भीखमचंद ललवानी, प्रदीप बोहरा, ज्ञानचंद माली, पार्षद दीपक सैनी आदि श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहें।