इसी क्रम में 14 नवम्बर को सिंगापुर में इन 16 राष्ट्रों के शीर्ष नेताओं का शिखर सम्मेलन भी प्रस्तावित है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भी भाग लेने की संभावना है। मंत्री चौधरी ने बताया कि पहले इस वर्ष के अंत तक इस समझौते के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जाना प्रस्तावित था, लेकिन कुछ मुद्दों पर विभिन्न पक्षों की अलग-अलग राय होने के कारण अब यह प्रस्तावित किया गया है कि समझौते के अधिकतर मुद्दों पर इस वर्ष के अंत तक सहमति बना ली जाए। इस दौरान भारत ने चीन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड तथा सिंगापुर के साथ भी अलग अलग द्विपक्षीय बैठकें कर आपसी सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की। द्विपक्षीय बैठक के बाद न्यूजीलैण्ड ने कृषि उत्पादों के व्यापार के बारे में भारत के पक्ष का समर्थन किया, जिस कारण से इस मुद्दे पर निर्णय ओकलैण्ड दौरे की वार्ता तक टाल दिया गया है। अब न्यूजीलैण्ड के ओकलैण्ड में होने वाली व्यापार वार्ताकारों की बैठक में इस मुद्दे पर भारत के पक्ष को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से विचार किया जाएगा।
चीन के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान भारत ने सेवाओं के क्षेत्र में भारतीय कम्पनियों को बाजार सुलभ कराने की मांग की। चीन ने फार्मास्यूटिकल के क्षेत्र में भारतीय कम्पनियों की क्षमताओं की प्रशंसा की तथा उनसे व्यापार की मंशा जाहिर की। ऑस्ट्रेलिया ने भारत सरकार द्वारा गन्ना क्षेत्र के लिए घोषित पैकेज के बारे में अपना विरोध व्यक्त किया तथा इसे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के विरूद्व बताया। इस पर भारत की ओर से पक्ष रखते हुए चौधरी ने गन्ना पैकेज का बचाव करते हुए कहा कि यह पैकेज भारतीय गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए है तथा विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अधीन ही है। स्वदेश वापसी के तुरंत बाद चौधरी राजस्थान विधानसभा चुनाव के बारे में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में भाग लेने के लिए पाली जिले के रणकपुर के लिए रवाना हो गए।