दुपहिया वाहन को किसी भारी वाहन के पीछे यदि एक किमी तक भी चलाया जाए तो जान सांसत में आ जाती है। वाहन चालक धूल-मिट्टी से सना नजर आता है। सांस लेने में तकलीफ होने लगती है और ज्यादा देर तक वाहन पीछे-पीछे दौड़ाया जाए तो नाक व मुंह के जरिए शरीर में घुसने वाले धूल के कण हालत खराब कर देते हैं।
नागौर शहर में ही बीकानेर हाइवे पर दिनभर धूल के गुबार उड़ते हैं। शहरी क्षेत्र से गुजरते हुए गोगेलाव तक कमोबेश ऐसी ही स्थिति नजर आती है। जिला अस्पताल जाने वाला मार्ग होने से इस हाइवे पर दिनभर में कई मरीज गुजरते हैं। बीमारियों से निजात पाने के लिए वे अस्पाल जाते हैं, लेकिन आवाजाही के समय हाइवे पर उड़ते धूल के गुबार उनको और बीमार कर रहे हैं।
जोधपुर बाइपास तिराहे पर स्थिति और भी खतरनाक बनी हुई है। भारी वाहन चलने से उड़ती धूल किनारे के ढाबों व दुकानों में घुस रही है। आसपास के दुकानदार बताते हैं कि धूल के कारण उनका धंधा चौपट हो रहा है। प्रतिदिन पानी छिड़काव कर कुछ राहत पाने का प्रयास करते हैं, लेकिन पानी से भीगी मिट्टी कुछ ही देर में सूख जाती है। इसके बाद स्थिति वापस ज्यों की त्यों हो जाती है। किनारे की सफाई किए बगैर इस समस्या से राहत मिलने की उन्हें कोई उम्मीद नजर नहीं आती।