नागौरPublished: Jan 18, 2022 10:28:04 pm
Sharad Shukla
Nagaur. बैठकों में चर्चा के साथ कई रिमांडर देने के बाद भी रोडबेज के राजस्व का बिगड़ा गणित-रोडवेज से तीन गुना संख्या में चल रही प्राइवेट बसों ने हर रुट पर बिछा रखा है जाल-एमडी स्तर के अधिकारियों के आग्रह पत्र के बाद भी नही माना प्रशासन, नही सुलझी समस्या
District administration failed to stop illegal operation of private buses, private buses spoiled the health of roadways
नागौर. जिले की सडक़ों पर अवैध रूप से प्राइवेट बसों का जाल बिछा हुआ है। प्रत्येक राजमार्गों पर रोडवेज के समानातंर इनका संचालन होने लगा है। नागौर से अजमेर हो या फिर जयपुर, हर जगह रोडवेज की बराबरी करते हुए प्राइवेट बसें नजर आने लगी हैं। प्राइवेट बसों के बढ़ते अवैध संचालन रोडवेज बसों के राजस्व की रफ्तार पर अंकुश लगाने के साथ ही कई प्रमुख मार्गों पर यातायात व्यवस्था भी अव्यवस्थित कर दी है। इस संबंध में पूर्व में राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के प्रबन्ध निदेशक की ओर से पत्र भेजकर प्रशासन से कार्रवाई करने का आग्रह भी किया गया। इसके बाद भी स्थिति नहीं सुधरी।
जिले में प्राइवेट बस संचालकों ने रोडवेज की यातायात परिवहन सेवा को अव्यवस्थित कर दिया है। यही नहीं, बस स्डैंड के एक से दो किलोमीटर के दायरे में संचालन नहीं किए जाने के कोर्ट के दिशा-निर्देश के बाद भी जिला प्रशासन की शिथिलता से ऐसे वाहनों के संचालन न केवल धड़ल्ले से हो रहे हैं, बल्कि मार्गों की व्यवस्था को बाधित करने के साथ ही यात्रियों की जिंदगी भी खतरे में डालकर इनकी ओर से यात्राएं कराई जा रही है। इससे स्थिति विकट होने लगी है।
प्राइवेट बस संचालकों ने राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की माली हालत बिगाडकऱ रख दी है। संचालन अवधि से रोडवेज के रोजाना की आय 25-30 प्रतिशत प्रभावित हुई है। माह भर में यह आंकड़ा लाखों में पहुंच जाता है। संचालन अवधि से अब तक प्रभावित हुए राजस्व का आंकड़ा करोड़ों में पहुंच गया है। निगम के अधिकारियों का मानना है कि प्राइवेट बस सेवा का चालन निर्धारित मापदंडों के प्रतिकूल किए जाने की वजह से यह स्थिति हुुई है, नहीं तो ऐसा बिलकुल नहीं होता। इस संबंध में परिवहन विभाग से लेकर जिला प्रशासन के मुखिया तक को अवगत कराने के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी। इससे हालात का अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है।नागौर परिवहन विभाग के एरिया में प्राइवेट बस सेवा की डेढ़ सौ से ज्यादा बसों के संचालन की वजह से आए दिन राजमार्गों पर न केवल यातायात जाम बना रहता है, बल्कि कानून के पहरेदारों के सामने ही मनमर्जी से जहां-तहां वाहन खड़े कर दिए जाते हैं।
रोडवेज के समानांतर प्राइवेट बसों का संचालन
निगम के जानकारों के अनुसार प्राइवेट बस सेवा का संचालन नागौर, मेड़ता, जायल, डेगाना, रियाबड़ी, खींवसर, गोटन, कुचामनसिटी, मकराना, डीडवाना, डेगाना में बेखौंफ बस स्टैंडों के निकट ही समानांतर बसों को खड़ी कर किया जाने लगा है। इससे अकेले नागौर में ही ढाई से तीन लाख, और कई बार यह आंकड़ा रोजाना का तीन से चार लाख तक पहुंच जाता है। एक माह के अंतराल में केवल नागौर के प्रभावित राजस्व का आंकड़ा 30 से 35 लाख तक पहुंच जाता है। जानकारों की माने तो इससे जिले के अन्य बस स्टैंडों पर होने वाले राजस्व हानि का आंकड़ा एक करोड़ पार कर जाता है।
शहर के राजमार्गों से हाइवे तक प्राइवेट बसों का जाल
नागौर से अजमेर, जोधपुर, गुजरात, जयपुर सहित कई बड़े शहरों में रोडवेज बस सेवा के रूट पर इससे तीन गुना ज्यादा बसों का संचालन किया जा रहा है। शहर के पुराना बस स्टैंड, पुराना जिला अस्पताल एवं बीकानेर रेलवे फाटक पार और अंदर के राजमार्गों से लेकर जोधपुर रोड एवं बीकानेर रोड के हाइवे तक प्राइवेट बसों का संचालन होने के साथ, यह जहां-तहां खड़ी नजर आती है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि प्राइवेट बस सेवा का संचालन निगम के रूटों पर ही किए जाने से स्थिति बिगड़ी है।
रोडवेज के बिगड़े गणित के आंकड़ों पर एक नजर
प्राइवेट सेवा बसों की संख्या-900 से भी ज्यादा
निगम के बसों की संख्या-81 (अनुबंधित सहित)
एक साल में प्राइवेट बस सेवा संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की स्थिति 20 प्रतिशत भी नहीं
निगम बस सेवा का प्रतिदिन का प्रभावित राजस्व-3-4 लाख
निगम का जिले का प्रतिदिन का राजस्व औसतन-11-12 लाख लगभग
विशेष-निगम के मुख्य बस स्टैंड एवं बुकिंग विंडों के आसपास से प्राइवेट सेवा की ओर से सवारियां बैठाना।
मापदण्ड तार-तार
केन्द्रीय बस स्टैंड के पास ही स्थित मूण्डवा चौराहा से लेकर विजयवल्लब चौराहा तक खड़े होने वाले प्राइवेट बसों की संख्या तीन दर्जन से ज्यादा रहती है। प्रति घंटे करीब दर्जन भर बसें प्राइवेट सेवा की यात्रियों को लेकर गंतव्यों तक रवाना होती है। सोमवार को भी प्राइवेट बस संचालकों एवं अन्य सवारी वाहनों के कारण विजयबल्लब चौराहे पर दोपहर में जाम लगा रहा। इससे न केवल यातायात बाधित हुआ, बल्कि रोडवेज की बसों को भी निकलने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
इनका कहना है…
प्रावधानों के तहत बस सेवाओं का संचालन होने पर रोडवेज को खासा राजस्व मिल सकता है। इसकी पालना नहीं होने की स्थिति में अकेले नागौर केन्द्रीय बस स्टैंड का राजस्व प्रभावित होने का आंकड़ा दो लाख से ज्यादा है। इस संबंध में परिवहन विभाग से भी कार्रवाई किए जाने का आग्रह किया गया है। स्थिति यह हो गई है कि अब प्राइवेट बस सेवा न केवल रोडवेज के बसों के समानांतर चलती है, बल्कि इसके संचालन से प्रतिदिन 25-30 प्रतिशत का राजस्व प्रभावित होने लगा है।
ऊषा चौधरी मुख्य प्रबन्धक नागौर आगार