बेटियों की घटती जनसंख्या चिंता का विषय
जिला कलक्टर दिनेश यादव ने पत्रकार वार्ता में कहा कि वर्ष 1971 व वर्ष 2011 की जनगणना की तुलना की जाए तो देखने में आता है कि बेटों की तुलना मे बेटियों की संख्या लगातार घटती जा रही है, जो कि चिंता का विषय है। न केवल जनसंख्या संतुलन के लिए बल्कि सामाजिक रूप से भी और देश को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न करने वाली चीज है। इससे न केवल समाज में तरह-तरह की विकृतियां उत्पन्न होती है, बल्कि इसके कारण से जो सामाजिक समस्याएं उत्पन्न होती है, उसकी हम कल्पना ही नहीं कर सकते। ऐसे प्रांत जिनमें ऐसी स्थितियां उत्पन्न होती है, सबसे ज्यादा हरियाणा के अंदर। अगर वहां जाकर देखते हैं तो पता चलता हैकि वहां शादियां नहीं हो पा रही है, शादियों के लिए बच्चियां लानी पड़ रही है। सामाजिक संरचना का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। इसलिए जरूरी है कि बेटे और बेटी को समान समझते हुए जो अंतर उत्पन्न हो गया है, उसकों खत्म किया जाए। भारत सरकार व राज्य सरकार दोनों ने मिलकर वर्ष 2015 से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान प्रारंभ किया था। उसी अभियान के तहत प्रयास किया जा रहा है कि किस तरह से सभी राज्यों मे सामाजिक जागरूकता उत्पन्न करे, अन्य प्रयास करते हुए संतुलन को बनाने का प्रयास करे।