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जिला कलक्टर ने मनाया बेटियों का जन्मोत्सव, चखे व्यंजन

locationनागौरPublished: Sep 14, 2019 06:48:47 pm

Submitted by:

Pratap Singh Soni

121 बेटियों का सामूहिक जन्मोत्सव, माताओं का भी किया सम्मान पोषाहर प्रदर्शनी में 551 व्यंजनों को किया प्रदर्शित

Didwana News

डीडवाना. चम्मच से भोजन का स्वाद चखते जिला कलक्टर साथ में डीडवाना व मौलासर प्रधान भी जांच रहे भोजन का स्वाद।

डीडवाना. शहर के अग्रवाल भवन में शनिवार को नागौर जिला कलक्टर दिनेश यादव के मुख्य आतिथ्य व प्रधान गुल्लाराम ढाका की अध्यक्षता में बेटी जन्मोत्सव मनाया गया। कार्यक्रम में 20 दिन से 6 माह आयु की 121 बच्चियों का जन्मोत्सव मनाया गया। इस दौरान केक भी काटा गया और बच्चियों को बेबी गिफ्ट हैम्पर भी भेंट किए गए। कार्यक्रम में पहुंची माताओं को भी माला पहनाकर व श्रीफल भेंट कर सम्मान किया गया। इस मौके पर विभाग में प्रधानमंत्री मातृ वन्दन योजना एवं राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाली 30 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रमाण पत्र भेंट कर उनका उत्साहवर्धन किया गया। पोषण माह के तहत पोषाहार प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। जिसमें घरेलू पदार्थो से 551 प्रकार के व्यंजनों की प्रदर्शनी महिलाओं द्वारा लगाई गई। कलक्टर ने प्रदर्शनी का अवलोकन करने के दौरान प्रदर्शनी में अलग-अलग भोजन चखते हुए पौष्टिक आहार को सेहत के लिए जरूरी बताया। इस मौके पर मौलासर पंचायत समिति प्रधान जालाराम भाकर विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। जबकि महिला एवं बाल विकास विभाग नागौर उपनिदेशक दुर्गासिंह उदावत, महिला अधिकारिता नागौर उपनिदेशक अशोक कुमार गोयल, अग्रवाल समाज अध्यक्ष गोविन्दप्रसाद रूवाटिया, तहसीलदार प्रभुदयाल व्यास, विकास अधिकारी डीडवाना अर्चना मौर्य, मौलासर विकास अधिकारी, डॉ. धन्नाराम बाजियां, बाल विकास परियोजना अधिकारी डीडवाना गौरव चौधरी मंचस्थ रहे। कलक्टर दिनेश यादव ने कहा कि बच्चियों की संख्या में दिन प्रतिदिन जो गिरावट आ रही है, जिससे लिंगानुपात गड़बड़ा रहा है। जिसके लिए बेटी बचाओं बेटी पढाओ अभियान को लिया गया है। मंच संचालन महिला एवं बाल विकास विभाग के कनिष्ठ सहायक करणीसिंह चारण ने किया।

बेटियों की घटती जनसंख्या चिंता का विषय
जिला कलक्टर दिनेश यादव ने पत्रकार वार्ता में कहा कि वर्ष 1971 व वर्ष 2011 की जनगणना की तुलना की जाए तो देखने में आता है कि बेटों की तुलना मे बेटियों की संख्या लगातार घटती जा रही है, जो कि चिंता का विषय है। न केवल जनसंख्या संतुलन के लिए बल्कि सामाजिक रूप से भी और देश को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न करने वाली चीज है। इससे न केवल समाज में तरह-तरह की विकृतियां उत्पन्न होती है, बल्कि इसके कारण से जो सामाजिक समस्याएं उत्पन्न होती है, उसकी हम कल्पना ही नहीं कर सकते। ऐसे प्रांत जिनमें ऐसी स्थितियां उत्पन्न होती है, सबसे ज्यादा हरियाणा के अंदर। अगर वहां जाकर देखते हैं तो पता चलता हैकि वहां शादियां नहीं हो पा रही है, शादियों के लिए बच्चियां लानी पड़ रही है। सामाजिक संरचना का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। इसलिए जरूरी है कि बेटे और बेटी को समान समझते हुए जो अंतर उत्पन्न हो गया है, उसकों खत्म किया जाए। भारत सरकार व राज्य सरकार दोनों ने मिलकर वर्ष 2015 से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान प्रारंभ किया था। उसी अभियान के तहत प्रयास किया जा रहा है कि किस तरह से सभी राज्यों मे सामाजिक जागरूकता उत्पन्न करे, अन्य प्रयास करते हुए संतुलन को बनाने का प्रयास करे।

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