देव दिवाली के उपलक्ष्य में श्रद्धालुओं ने घरों में दीप सजाए। साथ ही घरों से दीपक ले जाकर भगवान की देहरी पर दीपमालिका सजाई। देवालयों के झरोखे और आंगन में देर शाम तक दीपक टिमटिमाते रहे। आकर्षक रोशनी सज्जा को श्रद्धालु निहारते नजर आए।
शहर के श्रीकृष्ण मंदिरों में सुबह से ही दर्शन-वंदन के कार्यक्रम चलते रहे। शिवालयों में भी अर्चना की गई। देव दिवाली पर हरि और हर की आराधना का माहत्म्य है। मान्यता है कि इस दिन त्रिपुरासुर का वध किया गया था, जिससे देवताओं ने खुश होकर काशी में भगवान शिव की आराधना की थी। वहीं चार मास की योग निद्रा से उठने के बाद मत्स्य अवतार का दिन होने से भगवान विष्णु की भी आराधना की जाती है।
शहर के प्राचीन बंशीवाला मंदिर, रसिकनाथ का मंदिर, गोपीनाथ का मंदिर समेत श्रीकृष्ण मंदिरों में शाम को दीपमालिका सजाई गई। बंशीवाला के समीप हनुमान मंदिर में भी झांकियां सजी। यहां दीपकों से रामनाम उकेरा गया। कई श्रद्धालु शाम से ही देवालयों में दीपक सजाने का काम करते रहे। युवाओं में खासा क्रेज रहा। झरोखों में सजे दीपकों से झिलमिलाती रोशनी काफी आकर्षक रही।