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हरिणों की मौत का वन विभाग को पता ही नहीं

locationनागौरPublished: Apr 15, 2018 12:35:17 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

नागौर.जिले के नंदवाणी, भेड़ एवं चावण्डिया क्षेत्र में हुई घटनाओं में दो हरिण और हुए घायल, पर्यावरण प्रेमी जिला कलक्टर से करेंगे मुलाकात

Nagaur patrika

Now the winter comes, the flowers blossom in the fields

नागौर. जिले के वन क्षेत्रों में शुक्रवार को हुई घटनाओं में शिकारी कुत्तों के हमसे में एक हरिण एवं नीलगाय की मौत हो गई, जबकि दो हरिण घायल हो गए। इसके बाद भी वन विभाग के अधिकारियों ने घटना को लेकर अनभिज्ञता जताई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार खींवसर के नंदवाणी गांव के पास मोहनराम जाखड़ के खेत में सुबह करीब साढ़े सात बजे पानी की तलाश में पहुंचे हरिण पर कुत्तों के झुण्ड ने हमला कर दिया। हरिण की चीख सुनकर लोग मौके पर पहुंचे तब तक हरिण घायल हो चुका था। ग्रामीणों ने उसे कुत्तों के झुण्ड से मुक्त कराने के बाद अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के जिला सचिव ओमप्रकाश बिश्नोई को जानकारी दी। मौके पर पहुंचे बिश्नोई ने उसके उपचार का प्रबन्ध करने के साथ ही वन विभाग की रेस्क्यू टीम को बुलाया। टीम पहुंची तब तक हरिण की दम टूट गया। इसी तरह से चावण्डिया में जंभेश्वर मंदिर के पास कुत्तों के झुण्ड ने एक हरिण को घेर कर घायल कर दिया। ग्रामीण दिनेश पूनमचंद, ओमप्रकाश एवं राजेन्द्र बिश्नोई ने वन विभाग की रेस्क्यू टीम बुलाकर इलाज कराने के बाद हरिण को उनके हवाले किया। भेड़ इलाके में बाबूलाल भांभू के खेत में भी कुत्तों ने हरिण को घेरकर हमला कर दिया। हरिण की चीख सुनकर महिपाल, अभिषेक, कैलाश बिश्नोई आदि पहुंचे और उसे कुत्तों के झुण्ड से छुड़ाया। वह घायल हो चुका था। श्रीजंभेश्वर पर्यावरण एवं जीव रक्षा प्रदेश संस्था के कोषाध्यक्ष अनोपाराम डूडी मौके पर पहुंचे। उन्होंने वन विभाग की रेस्क्यू टीम को बुलाकर घायल हरिण
उन्हें सौंपा।
नीलगाय ने तोड़ा दम
चावण्डिया राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के निकट शुक्रवार सुबह कुत्तों के झुण्ड ने एक नीलगाय के बच्चे पर हमला कर दिया। लक्ष्मणसिंह, ओंकारसिंह, प्रेमसिंह राजपूत ने उसे छुड़ाया। सूचना मिलने पर पहुंचे श्रीजंभेश्वर पर्यावरण एवं जीव रक्षा समिति के पार्थवर्धन ने उसके उपचार का प्रबन्ध करने के साथ वन विभाग की रेस्क्यू टीम को जानकारी दी। टीम पहुंची तब तक नीलगाय के बच्चे की मौत हो चुकी थी।
नहीं है जानकारी
इस संबंध में डीएफओ वेदप्रकाश गुर्जर इस बारे में उन्हें कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया। वन क्षेत्रों में वन जीवों के लिए पेयजल व्यवस्था का अभाव होने के कारण बढ़ती इस तरह घटनाओं के बारे में वे कोई जवाब नहीं दे सके।

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