scriptजिम्मेदारों की लापरवाही से नागौर के तालाबों में हो रहा कुछ ऐसा… | Dual policy of BJP government regarding water conservation in Nagaur | Patrika News

जिम्मेदारों की लापरवाही से नागौर के तालाबों में हो रहा कुछ ऐसा…

locationनागौरPublished: May 17, 2018 11:36:04 am

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Dharmendra gaur

नागौर में तालाबों के सौन्दर्यकरण को लगा ग्रहण, जांच में अटका बख्तसागर का सौन्दर्यकरण,-अधर में प्रताप सागर तालाब का काम,नगर परिषद को विकास से परहेज

Nagaur bakhat sagar talab

बख्तसागर तालाब नागौर

नागौर. जल स्वावलम्बन अभियान के तहत जल स्रोतों के संरक्षण का दावा करने वाली सरकार शहर के जल स्रोतों की उपेक्षा कर रही है। शहरवासियों की भागीदारी से श्रमदान कर तालाबों का कायापलट करने की मुहित नगर परिषद के जिम्मेदारों की लापरवाही व जिला प्रशासन की उदासीनता से सिरे नहीं चढ़ पा रही है। गौरतलब है कि पत्रिका ने बख्तसागर की दुर्दशा व कीचड़ में समाए शिवलिंग के उद्धार को लेकर 7 दिसम्बर 2016 को समाचार प्रकाशित कर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करते हुए शृंखलाबद्ध समाचार खबरें प्रकाशित की थी।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा
पत्रिका अभियान के बाद नगर परिषद ने बख्त सागर के सौन्दर्यकरण का बीड़ा उठाया और नगर परिषद के संयुक्त तत्वावधान में शहरवासियों के सहयोग से लगातार कई महीने तक श्रमदान कर तालाब में साफ-सफाई की व शिवलिंग को कीचड़ से बाहर निकाला। एक तरफ सरकार जल संरक्षण के नाम पर भामाशाहों के सहयोग से तालाबों के जीर्णाोद्धार व जल संरक्षण की बात करती है वहीं दूसरी ओर शहर के बख्तसागर, प्रतापसागर, गिनाणी, जड़ा, समस आदि तालाब उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं। एक जमाने में शहरवासियों के लिए पेयजल स्रोत रहे तालाब अतिक्रमण की जद में आ गए और इनका दायरा सिकुड़ गया।

शहरवासी भी बने थे भागीदार
पत्रिका अभियान के तहत करीब तीन साल पहले मई 2015 में जड़ा तालाब, मार्च 2016 में गिनाणी, दिसम्बर 2016 में बख्तसागर व अक्टूबर 2017 में किए गए श्रमदान के बाद नगर परिषद सभापति कृपाराम सोलंकी, नगर परिषद व प्रशासन के प्रयासों से काम शुरू हुआ लेकिन की उदासीनता से कार्य को ग्रहण लग गया। जड़ा में नौकायन को लेकर बार-बार डीपीआर बदलती रही वहीं बख्तसागर तालाब का मामला एसीबी में चला गया। इसके बाद प्रताप सागर में गंदे पानी की आवक रोकने व सौंन्दर्यकरण को लेकर प्रयास शुरू किए गए लेकिन नगर परिषद के जिम्मेदारों ने एक भी विकास कार्य का टेंडर नहीं निकाला।

फिर कैसे होगा जल संरक्षण

एक तरफ सरकार व प्रशासन जल संरक्षण व परम्परागत जल स्रोतों व बावडिय़ों को बचाने का ढोल पीट रहे हैं दूसरी तरफ इनको बचाने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। शहर के तालाबों को बचाने के लिए शहरवासी व भामाशाह बेशक आगे आए लेकिन नगर परिषद के अधिकारी विकास कार्यों की डीपीआर पर कुंडली मारकर बैठ गए तो कहीं सौन्दर्यकरण की फाइलें राजनीति की भेंट चढकर जिम्मेदारों की टेबलों पर धूल फांक रही है। शहर का समस तालाब भी अतिक्रमण की भेंट चढ रहा है वहीं गंदे पानी की आवक भी उसके अस्तित्व को चुनौती दे रही है।

करवाएंगे तालाबों का सौन्दर्यकरण
अमृत मिशन में करीब सवा करोड़ रुपए से सौन्दर्यकरण का कार्य किया जाना है। शहर के अन्य तालाबों का भ्रमण कर उनके सौन्दर्यकरण के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
धर्मपाल जाट, आयुक्त नगर परिषद नागौर

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