scriptअनदेखी के चलते बिगड़ते जा रहे हैं पुराने हाउसिंग बोर्ड के हालात | due to the ignorance of the old housing board situation is bad | Patrika News

अनदेखी के चलते बिगड़ते जा रहे हैं पुराने हाउसिंग बोर्ड के हालात

locationनागौरPublished: Aug 12, 2018 11:51:28 am

Submitted by:

Jyoti Patel

https://www.patrika.com/rajasthan-news/

rajasthan news

अनदेखी के चलते बिगड़ते जा रहे हैं पुराने हाउसिंग बोर्ड के हालात

नागौर. हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का नाम सुनते ही एक अच्छी और साफ सुथरी जगह की छवी दिमाग में बस जाती है लेकिन शहर के ताऊसर रोड स्थित पुराना हाउसिंग बोर्ड में इन दिनों सबकुछ उल्टा देखने को मिल रहा है। 25 वर्षों पहले लोगों ने यहां पर भविष्य में अच्छी सुविधाएं मिलने के कारण रहना शुरू किया था लेकिन वर्तमान में क्षेत्र काफी अव्यवस्थाओं की मार झेल रहा है। 90 प्रतिशत क्षेत्र में न तो सडक़ बनी हुई है और न ही नालियों के पानी की कोई समुचीत व्यवस्था है। सफाई कर्मचारी के आभाव में यहां जगह- जगह कचरे के ढ़ेर लगे हुए है।
खास बात यह है कि स्थानीय पार्षद सरोज प्रजापत भाजपा में प्रदेश मंत्री है। गौरतलब है कि तीन वर्ष पहले नगर परिषद को हाउसिंग बोर्ड को हैंड ऑवर कर दिया गया था। सडक़ें तक नहीं क्षेत्र में सडक़ों के नाम पर तो केवल कंकरीट व गड्ढ़े ही देखने को मिल रहे है। हाउसिंग बोर्ड में केवल 2 से 3 सडक़े ही बनी हुई है। मुख्य मार्ग व गलियों में उड़ती धूल यहां के भवनों के रंगों का खराब कर रही है। इसके अलावा वाहन चालकों के साथ पैदल राहगिरों को काफी ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है, वहीं बरसात के दिनों में पानी इकठ्ठा होने से काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।
हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र के दोनों ही क्षेत्रों में 10 से अधिक पार्क बने है जिन्हें कई वर्षों पहले स्थापीत किया गया था लेकिन वर्तमान समय वो काफी दयनीय स्थति में है। पार्को की दीवारे तोड़ दी गई है, यहां पर लोग अपनी गाय भैसे बाँध देते है साथ ही इनक शादी, विवाह व निजी कार्यक्रमों में उपयोग करते है। क्षेत्र में गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों ने अपने घरों की नालियों को पार्कों में छोड़ दिया है जिससे गंदा पानी पार्कों में भर रहा है।
आवारा पशुओं का जमावड़ा नगर परिषद क्षेत्र होने के बावजूद बड़ी संख्या में क्षेत्र में आवारा पशुओं का जमावड़ा रहता है। जो किसी भी समय लडकऱ राहगीरों को अपनी चपेट में ले लेते है, जिससे वो चोटिल हो जाते है। लेकिन फिर भी प्रशासन की ओर से किसी प्रकार का कोई समाधान नहीं किया जा रहा है। वहीं रात के समय में अधिकतर रोड लाइटें बंद होने के अंधेरे में तो निकलना भी यहां से दुश्वार हो जाता है। लोगों ने बताया कि परिषद की टीपर गाड़ी अंतिम बार कब आई थी इस बारें में कुछ कहा नहीं कहा जा सकता है। टीपर गाड़ी नहीं आने के कारण लोग अपने घरों का कचरा खाली पड़े स्थानों पर डाल देते है जिसके चलते लड़ाई- झगड़ों की स्थिति भी कई बार देखने को मिलती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो