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जीरे की धमक में परंपरागत फसलों का घटा रकबा

locationनागौरPublished: Jan 03, 2018 12:32:21 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

नागौर जिले में जीरे के रकबे ने घटाया गेहूं, जौ, चना व सरसों का कद, पांच से छह सालों में काश्तकारों का मसाला खेती की बुवाई में बढ़ा रुझान, मेथी व सौंफ

Nagaur patrika

Due to the threat of cumin, acreage of conventional crops

शरद शुक्ला-नागौर. जिले में पांच से छह सालों के अंतराल में मसाला खेती की ओर काश्तकारों का रुझान तेजी से बढ़ा है। काश्तकारों में आया यह बदलाव मसाला खेती के लिए न केवल वरदान साबित हुआ है, बल्कि इसका रकबा व उत्पादन परंपरागत फसलों से दोगुना कर दिया गया है। इसमें जीरा, मैथी एवं सौफ की उपज शामिल हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार काश्तकारों में यह बदलाव मसाला खेती से जुड़े पौधों की खेती में हुए आर्थिक लाभ के साथ ही पहले की अपेक्षा अब अधिक उन्नत बीजों का मिलना है। जिले की कृषि बुवाई की संरचना में पौधों का भूगोल अब बदलने लगा है। पहले जीरा, मैथी तथा सौंफ की बुवाई में कम दिलचस्पी दिखाने के वाले काश्तकार अब इनकी खेती में ज्यादा रुचि लेने लगे हैं। यही वजह रही है कि जीरे का लक्ष्य 38 हाजर हेक्टेयर में बुवाई का होने के बाद भी बुवाई का रकबा 70765 हेक्टेयर पहुंच गया है। वर्ष 2011-012 से अब तक रबी की बुवाई के आंकड़ों का आंकलन करने पर स्थिति खुद-ब-खुद मसाला उपज परंपरागत फसलों की अपेक्षा औसतन रकबा एव उत्पादन दोनों पर भारी नजर आती हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि पहले, और अब के काश्तकारों की सोच में यह बदलाव परम्परागत उपज के उत्पादन में लगातार आए गिरावट के चलते हुआहै। अन्य उपज की अपेक्षा इसमें शत-प्रतिशत लाभ मिलने के कारण भी रुझान बढ़ा है। कृषि विभाग के पौध संरक्षण अधिकारी बृजपाल मंडा ने बताया कि मसाला खेती की ओर से काश्तकारों का रुझान बढ़ा है। इसी वजह से इस वर्ष भी इसका रकबा अन्य उपजों से ज्यादा भी है।
आंकड़ों में मसाला फसलें भारी
कृषि विभाग की ओर से ही जारी आंकड़ों में 2011-013 में गेहूं का 56807 हेक्टेयर, 2012-013 में 83768 हेक्टेयर, 2013-014 में 75548 हेक्टेयर, 2014-015 में 71637 हेक्टेयर, 2015-016 में 60279 हेक्टेयर व 2016-017 में 56680 हेक्टेयर रहा, जबकि मसाला फसलों में अकेले जीरा का ही रकबा 2011-012 में 55654 हेक्टेयर, 2012-013 में 46590 हेक्टेयर, 2013-014 में 48665 हेक्टेयर, 2014-015 में 41850 हेक्टेयर, 2015-016 में 49645 हेक्टेयर, 2016-017 में 10914 हेक्टेयर तथा 2017-18 में रकबा दोगुना होते हुए 70765 पर पहुंच गया। जबकि गेहूं का रकबा 61711 पर ही सिमटकर रह गया। विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं, जौ, चना, दलहन, सरसों, तारामीरा, अलसी, ईसबगोल आदि में बुवाई का सर्वाधिक रकबा जीरा, मैथी व सौंफ का रहा। इन तीनों मसाला उपज के आंकड़ों को सयुक्त करने पर परंपरागत उपजों का रकबा इनके सामने कहीं नहीं ठहरता नजर आता है।
इस साल परम्परागत व मसाला खेती के रकबे की तुलनात्मक स्थिति
फसल लक्ष्य प्राप्ति
गेहूं 70000 61711
जौ 15000 18235
चना 37000 12485
दलहन 1000 630
सरसों 55000 38480
तारामीरा 40000 870
अलसी 4000 2115
जीरा 38000 70765
ईसबगोल 38000 53445
मेथी 7500 10815
सौंफ 9500 14105
चारा 2000 2445
सब्जियां 5000 2378

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