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शिक्षण संस्थानों को बच्चों की सुरक्षा से नहीं है कोई मतलब…!

locationनागौरPublished: Aug 24, 2018 11:43:48 am

Submitted by:

Sharad Shukla

तकरीबन दो महीने बाद भी जिले के निजी व सरकारी शिक्षण संस्थानों ने अपने स्कूलों की सुरक्षा योजना अब तक शिक्षा विभाग को नहीं सौंपी।

Nagaur patrika

Guinani school again operated in single innings

नागौर. शिक्षा निदेशालय की ओर से बच्चों के स्कूल में प्रवेश से लेकर उसकी छुट्टी होने तक के संदर्भ में ‘पग-पग’ की पूरी विस्तृत योजना मांगी गई थी। बावजूद इसके अभी तक किसी संस्थान ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया है। अब इस संबंध में विभागीय निर्देश पर यथोचित कदम उठाए जाएंगे। नागौर, मकराना, जायल, मेड़ता, कुचामनसिटी, डीडवाना, परबतसर, डेगाना, गोटन, रियांबड़ी आदि में करीब एक हजार से ज्यादा निजी शिक्षण संस्थान हैं।
इसमें प्रारंभिक एवं माध्यमिक दोनों ही श्रेणी के स्कूल हैं। निदेशालय से फरमान आने के बाद जिला शिक्षा कार्यालय से प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षण संस्थानों से सुरक्षा के संदर्भ में योजना बनाकर दिए जाने के निर्देश दिए गए, लेकिन नतीजा सिफर रहा। याद रहे कि पूर्व में दिल्ली, इलाहाबाद, वाराणसी, अहमदबाद, मुंबई आदि सरीखे महानगरों में विद्यालयों की ओर से समुचित सुरक्षा के नहीं होने के कारण बच्चों को घटनाओं का शिकार होना पड़ा। देश में हुई तमाम घटनाओं को ध्यान में रखते हुए बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए निदेशालय की ओर से उच्च स्तर पर इस विषय पर करीब एक दर्जन बैठकों के बाद बिंदुवत दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसमें बच्चों की सुरक्षा से जुड़े समग्र पहलुओं को ध्यान रखते हुए जल्द से जल्द योजना भेजने को कहा गया था।
इसलिए भी लिया फैसला
बच्चे निजी एवं राजकीय, दोनों ही शिक्षण संस्थानों में अध्ययन के लिए आते हैं। दोनों ही जगहों पर बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखना संस्था प्रधानों-संचालकों का ही दायित्व है। राजकीय शिक्षण संस्थान यह कहकर नहीं बच सकते कि उनका विद्यालय सरकारी है, व्यवस्था सरकार करेगी। शिक्षण संस्थानों से योजना के संदर्भ में उनकी ओर से क्या कदम उठाए गए हैं आदि की जानकारी निजी एवं सरकारी, दोनों को ही उपलब्ध करानी पड़ेगी। इस संबंध में निदेशालय ने पूर्व में ही स्पष्ट कर दिया था। अब इसके बाद भी योजना बनाकर नहीं सौंपे जाने से स्पष्ट है कि बच्चों के सुरक्षा की व्यवस्था के प्रति जिम्मेदार खुद ही उदासीन बने हुए हैं।
इन बिंदुओं पर योजना बनाकर देनी थी
स्कूल परिसर की स्थिति, मुख्य गेट पर सुरक्षाकर्मी कितने और कहां रहते हैं। परिसर के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं या नहीं, स्कूल भूतल पर है या ऊपरी मंजिल पर भी कक्षाएं लगती है। ऊपरी मंजिल पर लगती हैं तो जाने के दौरान सुरक्षा की स्थिति, सीढिय़ों की बनावट फिसलनदार तो नहीं है। कैमरे कक्षा-कक्ष के साथ अन्य कक्षों व बाथरूम आदि में लगे हुए हैं या नहीं। स्कूल से छुट्टी होने के बाद उनको ले जाने वाली बालवाहिनी निर्धारित मापदंड पर पूरी तरह खरी उतरती है या नहीं, उसमें प्राथमिक उपचार की व्यवस्था के बैग्स हैं या नहीं। चालक दक्ष है या नहीं। इन बिंदुओं पर योजना बनाकर देनी थी।

अधिकारी कहिन…
&इस संबंध में जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक प्रथम ब्रह्माराम चौधरी एवं जिला शिक्षाधिकारी प्रारंभिक रजिया सुल्ताना से बातचीत हुई तो उनका कहना था कि सुरक्षा प्लान निजी एवं सरकारी दोनों से ही मांगा गया था, लेकिन अब तक किसी ने इसके प्रति गंभीरता नहीं दिखाई। एक भी संस्था प्रधान ने सुरक्षा प्लान नहीं सौंपा है।

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