नागौरPublished: Aug 22, 2018 11:50:27 am
Sharad Shukla
नागौर पासपोर्ट सेवा केन्द्र के कर्मचारियों ने बिना किसी सरकारी मदद के लंबे समय से सडक़ को न केवल पक्के मार्ग में बदल डाला, बल्कि इस काम को लोगों से बिना चंदा लिए बिना ही अंजाम दे डाला
Employees changed photo, made by road
नागौर. पहले रास्ते में गड्ढे थे, जरा सी नजर चूकी तो फिर दुर्घटना पक्की। बरसात में तो इन गड्ढों में भरे पानी के कारण जाने के लिए जगह ही नहीं मिल पाती थी। यह हालात थे जिला मुख्यालय के गांधी चौक स्थित उप डाकघर परिसर में स्थापित पासपोर्ट सेवा केन्द्र तक जाने वाले मार्ग के। अब हालात बिल्कुल बदल गए हैं। यहां पर न केवल पक्की व समतल सडक़ बन गई है, बल्कि आने-जाने वालों के चेहरे पर राहत के भाव नजर आने लगे हैं। यह कमाल पासपोर्ट सेवा केन्द्र में तैनात कर्मचारियों ने कर दिखाया। सरकारी मदद का इंतजार किए बिना ही खुद के स्तर पर राशि जुटाई और पूरी पक्की सडक़ ही बनवा डाली। जिले के उप डाकघर के पासपोर्ट सेवा केन्द्र के शुभारंभ के दौरान भी मार्ग खराब होने का मामला पासपोर्ट सेवा केन्द्र के कर्मचारियों की ओर से उठाया गया था, लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। उप डाकघर परिसर में स्थापित हुए पासपोर्ट सेवा केन्द्र कार्यालय का मार्ग इसी डाकघर के बगल से होकर गुजरता है। इसके करीब 25 से 30 मीटर से ज्यादा की दूरी तक मार्ग के नाम पर कई जगहों पर हुए गड्ढों के कारण बुजुर्गों, महिलाओं एवं दिव्यांगों के लिए चलना मुश्किल हो गया था। मार्ग की खराब स्थिति के कारण चंद मीटर की दूरी दिव्यांगों के लिए बेहद तकलीफदेह होने के साथ मीलों लंबी लगने लगी थी। लोगों की परेशानियों को देखते हुए कर्मचारियों ने खुद के स्तर पर सडक़ बनाने का फैसला कर डाला।
महज चालीस हजार में बन गई मजबूत सडक़
कर्मचारियेां में मांगीलाल बिश्नोई व उम्मेदाराम ने बताया कि अपने साथियों तिलोकराम खिलेरी, ठाकुरदत्त व्यास, सुआलाल जैन, भानूराम जैन, नेमीचंद चौहान, प्रमील नाहटा, सुरेन्द्र सोलंकी, रमेश व्यास, दामोदर, दामोदर ओझा, हनुमान कूकड़ा, चेनाराम आदि ने इस विषय पर परस्पर चर्चा की। इससे जुड़े बिंदुओं पर मंथन करने के बाद इस पूरे मार्ग की तकनीकी जांच कराई गई। इसके बाद इसकी लागत करीब 40 हजार निकली। सभी कर्मचारियों ने आपस में ही बातचीत कर राशि का सहयोग कर पूरे पैसे इक_े कर डाले। इसके बाद ठेकेदार से संपर्क कर इस पूरे मार्ग का कायाकल्प करवा डाला। अब लोगों को राहत मिलने पर कर्मचारियों में भी संतोष का भाव है। कर्मचारियों का कहना था कि इस पूरे रास्ते के निर्माण के दौरान स्थानीय स्तर पर होने वाले दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के प्रशासनिक व्यवस्था के लिए भी कर्मचारियों ने खुद के स्तर पर ही अधिकारियों से मुलाकात कर उन्हें इस पूरे मंसूबे से अवगत कराया था। अधिकारियों ने भी जनहित एवं जनता की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सकारात्मक सहयोग के लिए आश्वस्त किया। इसका सुखद परिणाम पक्की सडक़ के सफलतम निर्माण के तौर पर सामने आया। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका की ओर से इस मुद्दे को पूर्व में प्रमुखता से उठाया गया था। कर्मचारियों ने इसके लिए भी आभार जताया।