scriptVideo : नागौर में हर साल 4 हजार नए टीबी रोगी मिल रहे : डॉ. संघमित्रा | Every year 4 thousand new TB patients are being found in Nagaur | Patrika News

Video : नागौर में हर साल 4 हजार नए टीबी रोगी मिल रहे : डॉ. संघमित्रा

locationनागौरPublished: Mar 28, 2023 01:05:39 pm

Submitted by:

shyam choudhary

चिकित्सा विभाग की स्टेट टेक्निकल सपोर्ट यूनिट की डॉ. संघमित्रा से पत्रिका की विशेष बातचीत

चिकित्सा विभाग की स्टेट टेक्निकल सपोर्ट यूनिट की डॉ. संघमित्रा से पत्रिका की विशेष बातचीत

चिकित्सा विभाग की स्टेट टेक्निकल सपोर्ट यूनिट की डॉ. संघमित्रा से पत्रिका की विशेष बातचीत

नागौर. भारत सरकार ने देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है, इसके लिए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम तथा प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान चलाए जा रहे हैं। पिछले करीब दो साल से सरकार के स्तर पर टीबी को लेकर युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है। इसे लेकर सोमवार को जयपुर से चिकित्सा विभाग की स्टेट टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (एसटीएसयू) की डॉ. संघमित्रा विमला मेहता नागौर पहुंची । इस दौरान पत्रिका ने उनसे विशेष बातचीत की।

सवाल : आजकल लोग टीबी को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है, वर्तमान में देश की क्या स्थिति है?

जवाब : विश्व के 26 प्रतिशत टीबी मरीज भारत में हैं, राजस्थान में हर साल डेढ़ लाख नए मरीज सामने आ रहे हैं। यदि रिपोर्टेड केस की भी बात करें तो स्थिति चिंताजनक है। लेकिन दूसरी तरफ यह अच्छी बात भी है कि राजस्थान पूरे देश में पहला ऐसा राज्य है, जो इस प्रकार की बैठकें आयोजित करवा रहा है।
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सवाल : नागौर जिले की बात करें तो क्या स्थिति है?
जवाब : नागौर में हर साल 4 हजार नए रोगी मिल रहे हैं, जो रिकार्डेड हैं। देशभर में राजस्थान हाई रिस्क वाले राज्यों में है, इसलिए यहां सबसे पहले काम शुरू किया गया है। इसी को देखते हुए टीबी को लेकर बात हो रही है, बात होगी तो लोग सामने आएंगे।
सवाल : क्या टीबी को लेकर लोग अब भी जागरूक नहीं है?

जवाब : हां, पढ़े-लिखे लोगों को भी इसकी ज्यादा जानकारी नहीं है। यह एक सोशल डिजिज है, अब तक हम इसे मेडिकल डिजिज समझ रहे थे, लेकिन यह मेडिकल तक सीमित है।
सवाल : टीबी को लेकर भारत सरकार ने कोई विशेष अभियान शुरू किया है?

जवाब : हां, भारत सरकार ने मल्टी सेक्टोरियल इंगेजमेंट कार्य नीति तय की है। इसके तहत सारे स्टेक होल्डर को मिलकर काम करने की जरूरत है। यदि एक भी सेक्टर छूट गया तो हम देश को टीबी फ्री नहीं कर सकेंगे। इसलिए हमें सभी एनजीओ, इंडस्ट्री और संगठित क्षेत्रों को साथ लेकर यह बात करनी जरूरी है और काम करने की जरूरत है। इसके तहत हम सीएसआर का पैसा भी इस क्षेत्र में लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, इसके लिए हमने विभिन्न इंडस्ट्रीज से बात भी की है।
सवाल : अभियान के तहत विभाग मुख्य तौर पर क्या रहा है?

जवाब : भारत सरकार खुद बड़ी इंडस्ट्रीज को लिख रही है कि उन्हें जिलों व मरीजों को गोद लेना चाहिए। लेकिन अब भी बहुत सारे मरीज गोद नहीं लिए गए हैं, इसलिए हम जिलाें तक पहुंच रहे हैं। मरीज अपनी बीमारी से अकेले जूझ रहे हैं, उन्हें सम्बल देने की जरूरत है।
सवाल : कई बार देखने में आता है कि टीबी मरीज सामने आने पर श्रमिक को निकाल दिया जाता है, इसको लेकर क्या नियम हैं?

जवाब : यदि किसी कार्य स्थल पर टीबी मरीज सामने आता है तो उसे टर्मीनेट नहीं कर सकते और न ही उसे अनपेड किया जा सकता है। बल्कि उसका काम कम करना होता है और सहूलियतें देकर उसका उपचार करवाने की दिशा में प्रयास करने होते हैं। अन्यथा लोग टीबी को छुपा लेते हैं और उसके परिणामस्वरूप टीबी आगे से आगे फैल रही है।

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