सूत्रों के अनुसार पिछली बार पांचवे चरण में भी 72 दुकानों में से केवल 34 की बिकवाली हुई थी। उनमें भी तीस दुकानें लगभग रिजर्व प्राइस पर बिकी। जबकि सरकार ने दुकानें जल्द से जल्द बिके इसके लिए काफी रियायत की थी। एक अप्रेल की नीलामी में बोलीदाता को विशेष राहत देते हुए बोली छूटने के बाद खरीदार के किसी कारण हटने पर दूसरे नंबर के ठेकेदार को उसकी रेट पर दुकान देना तक तय तक हो चुका था। दस अप्रेल को इन 72 दुकानों की नीलामी के दौरान 67 दुकानों की रिजर्व प्राइस और कम्पॉजिट फीस में बीस फीसदी की कमी तक कर दी गई। इसके बाद भी 38 दुकान नहीं बिक पाईं। अब इन दुकानों की नीलामी होनी है। आबकारी विभाग को उम्मीद है कि अबकी बार सभी दुकानें उठ जाएंगी। असमंजस के साथ कोरोना काल का घाटा और नए सिस्टम में नुकसान की आशंका ने भी कई ठेकेदारों को लगता है शराब के कारोबार से अलग कर दिया है। बताया जाता है दुकानों का एमाउण्ट बढ़ाना, कोरोना में बिक्री कम से घाटा ज्यादा लगने के साथ नए सिस्टम में पेनल्टी समेत अन्य ज्यादा की आशंका भी ठेकेदार को इससे दूर रख रही है।
ई-ऑक्शन के छठे चरण में शेष 38 दुकानों की बोली लगेगी। संभवतया यह पहला मौका है जब नीलामी को लेकर इतना समय लग रहा है, खरीदार कम आ रहे हैं। इस बार शायद सारी दुकानें उठ जाएं, वैसे सरकार ने शराब के ठेकेदारों को काफी राहत दी है।