नागौरPublished: Nov 19, 2018 07:00:00 pm
Pratap Singh Soni
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चौसला. लूणवां क्षेत्र में पानी के अभाव में विरान पड़े खेत। पत्रिका
चौसला. लूणवां क्षेत्र में दो दशक पहले तक खेतों में जौ, गेहूं, चना, मेथी, पालक, गाजर, मूली की फसल लहलहाते नजर आती थीं। कुओं का पानी सूख जाने से रबी की खेती करना क्षेत्र के किसानों के लिए दिवास्वप्न बन कर रह गया है। लूणवां पीपराली क्षेत्र के किसानों ने बताया कि पूर्व में लूणवां, पीपराली, गोविन्दी मारवाड़, लोहराणा सहित कई गांवों को मेेंढा नदी के आस-पास होने से क्षेत्र का जलस्तर 50 से 6 0 फीट गहरा था, लेकिन करीब दो दशकों से भरपूर बारिश नहीं होने से इस नदी में केवल रेत के टीले दिखाई दे रहे है। इस क्षेत्र में कई वर्षो से नदी का पानी नहीं आने के कारण क्षेत्र का जलस्तर गिरता गया। नतीजन खेतों में परम्परागत तरीके लाव-चड़स से की जाने वाली सिंचाई कुओं का जलस्तर 400 से 500 फीट गहरा चले जाने व अधिकांश कुएं सूख जाने के कारण बंद हो गए है। संबंधित सिंचाई विभाग कार्मिकों का समायोजन कर देने के बाद क्षेत्र में परम्परागत जलस्रोतों का कोई धणी धोरी नहीं रहा है तथा साधन सम्पन्न कई किसानों ने अवैध रूप से कुओं में आड़े बोर करवाकर जमीन के शेष पानी को भी खींच लिया है। जिस कारण पानी रसातल में पहुंच गया है। यहां के किसानों ने बताया कि क्षेत्र का किसान अब बरसाती खेती पर आश्रित रह गया है। पर्याप्त बरसात नहीं होने से किसानों को राजास नमक मंढी में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करना पड़ रहा है।