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किसानों की कपास को नहीं मिल रहा सरकार का समर्थन

खींवसर (नागौर). प्रतिवर्ष 10 लाख क्विंटल से भी अधिक कपास का उत्पादन देने वाले नागौर जिले में तेजी से कपास के भाव आसमान छू रहे हैं, जबकि सरकार की ओर से समर्थन मूल्य में नाम मात्र की बढोतरी करने से इस वर्ष जिले में कपास समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र तो खुले, लेकिन खरीद नहीं हो पा रही है तो कई जगह समर्थन मूल्य के कम भाव के कारण खरीद केन्द्रों के लिए इस बार आवेदन ही नहीं किए गए।

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खींवसर की एक जिनिंग मील में लगा कपास का ढेर।

-बाजार से खरीद केन्द्रों पर कम भाव फिर कैसे बेचे कपास

-प्रतिवर्ष 10 लाख क्विंटल का उत्पादन होने के बाद भी अनदेखी

खींवसर (नागौर). प्रतिवर्ष 10 लाख क्विंटल से भी अधिक कपास का उत्पादन देने वाले नागौर जिले में तेजी से कपास के भाव आसमान छू रहे हैं, जबकि सरकार की ओर से समर्थन मूल्य में नाम मात्र की बढोतरी करने से इस वर्ष जिले में कपास समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र तो खुले, लेकिन खरीद नहीं हो पा रही है तो कई जगह समर्थन मूल्य के कम भाव के कारण खरीद केन्द्रों के लिए इस बार आवेदन ही नहीं किए गए। सरकार की ओर से समर्थन मूल्य में बढोतरी नहीं करने से किसानों को अपनी कपास निजी मीलों में बेचनी पड़ रही है। अच्छी क्वालिटी के कारण देशभर में अपनी पहचान रखने वाली नागौर की कपास को सरकार का सही समर्थन मूल्य नहीं मिलने से किसानों में मायूसी है।

खरीद केन्द्रों पर कम भाव

हालात यह है कि बाजार में कपास के भाव ८ हजार १00 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र पर भाव ७ हजार १२१ रुपए प्रति क्विंटल ही है। ऐसे में किसान अपनी कपास नीति मीलों पर बेच रहे हैं। इस कारण जिले में अधिकांश जगह समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र ही नहीं खुल पाए है। सरकार ने एमएसपी के नाम पर केवल ५०१ रुपए की इस बार वृद्धि की है। इनमें लोंग, स्टेपल कपास की एमएसपी७५२१ रुपए व मिडियम स्टेपल कपास ७१२१ रुपए प्रति क्विंवटल है। ऐसे में किसान अपनी कपास निजी मिलों में बेच रहे है।

सैंकड़ों किसान परेशान

जिले में प्रति वर्ष करीब 10 लाख क्विंटल से भी अधिक कपास का उत्पादन होता है, लेकिन सरकार की ओर से समर्थन मूल्य खरीद केन्द्रों पर सही भाव नहीं मिलने के कारण उन्हें निजी बाजारों की ओर रूख करना पड़ रहा है। सरकार पिछले कई वर्षों से कपास के भाव में प्रति वर्ष केवल 250 रुपए क्विंटल के हिसाब से बढा रही है, जबकि बाजार में कपास में भाव तेजी से बढ रहे हैं।

यहां होता है अधिक उत्पादन

खींवसर सहित क्षेत्र के नागड़ी, आकला, बैराथल, पांचलासिद्धा, पांचौड़ी, माडपुरा, भावण्डा, डेहरू, टांकला, हमीराणा, कुड़छी, खुण्डाला, नारवा सहित कई गांवों में कपास की अच्छी पैदावार होती है। किसान मण्डी नहीं होने से सीधे कपास मीलों में ही अपनी कपास बेचते हैं। मीलों में रूई से कॉटन बनाकर पैकिंग के बाद प्रदेश से बाहर भेजते हैं।

इस वर्ष कम उत्पादन

इस बार क्षेत्र में किसानों ने कपास की ५० प्रतिशत रकबे में ही बुवाई की थी, जबकि उत्पादन हर साल की तुलना में २५ प्रतिशत ही हुआ है। ऐसे में मीलों में कपास की अत्यधिक डिमाण्ड होने के साथ सरकार की ओर से समर्थन मूल्य कम मिलने से किसान अपनी कपास जिनिंग मीलों में बेच रहे हैं।

समर्थन मूल्य के भाव कम

मीलों में कपास इस बार ८ हजार १00 रुपए प्रतिक्विंटल बिक रही है, जबकि सरकार केवल ७ हजार १२१ रुपए क्विंटल में खरीद रही है। ऐसे में किसान समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र पर कपास नहीं ले जा रहे हैं। समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र के लिए आवेदन करने से भी व्यापारियों का मोह भंग हो गया है। सरकार हर बार नाम मात्र के भाव बढ़ाती है।

-बाबूराम मूण्डेल, जिनिंग मील, खींवसर

सरकार किसान विरोधी है

जब बाजार में किसानों को कपास के भाव ८ हजार रुपए से अधिक मिल रहे हैं तो सरकार को समर्थन मूल्य खरीद केन्द्रों पर भाव बढ़ाने चाहिए, ताकि किसानों को अपनी फसल का अच्छा फायदा मिल सके, लेकिन किसान विरोधी सरकार ने समर्थन मूल्य नाम मात्र के तय कर रखे हैं।

-भागीरथ डूडी, किसान नेता खींवसर